पेपर नहीं तो बिहार सरकार की हो जाएगी जमीन, मौखिक बंटवारे को नहीं मानेंगे सर्वे अधिकारी

Prashant Prakash
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पटना | बिहार में 185 साल बाद 20 अगस्त से जमीन सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य के 45 हजार से अधिक गांवों में सर्वे होगा। गांव से बाहर रहने वाले लोग अपनी जमीन का सर्वे कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। जमीन की जांच के दौरान उपस्थित रहना होगा।

ऐसी जमीन जो आपके जोत में है, लेकिन पेपर नहीं है। ऐसी स्थिति में जमीन के मूल मालिक की खोज होगी। मूल मालिक के नहीं मिलने पर जमीन बिहार सरकार की हो जाएगी। इसलिए जमीन के दस्तावेज तैयार रखें। प्रपत्र-2 में स्वघोषणा करनी है। प्रपत्र-3 में वंशावली देना है। वंशावली तभी देना होगा, जब जमीन के मालिक का नाम है, लेकिन वह जीवित नहीं है।

इस सर्वेक्षण में जमीन पर बने मकानों और दूसरी चीजों की भी जानकारी देनी होगी। सर्वे के दौरान जमीन का खेसरा नंबर बदल जाएगा। सर्वे अधिकारी जमीन बदलने के मौखिक एग्रीमेंट को नहीं मानेंगे। एग्रिमेंट का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है। अगर आपके पास जमीन बदलने का रजिस्टर्ड डाक्यूमेंट्स है, तभी आपके नाम से खतियान बनेगा। रजिस्टर्ड नहीं होने पर मूल मालिक के नाम से ही खतियान बनेगा।


इसी तरह फैमिली बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है। बंटवारा मौखिक हुआ तो संयुक्त खतियान बनेगा। सर्वे अधिकारियों के मुताबिक स्वघोषणा के समय अपनी जमीन का रकबा, चौहदी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद का फोटो कॉपी, खतियान का नकल आदि दस्तावेज देना है।

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