बता दें कि बिहार से 6 शिक्षकों का नाम राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए नॉमिनेट हुआ था। इसमें से दो शिक्षक अंतिम दौर में सिलेक्ट हुए। मधुबनी और कैमूर के दोनों शिक्षकों ने स्कूल में क्या बदलाव किए आइए इसकी जानकारी देते हैं।
डॉक्टर मीनाक्षी साल 2014 से शिवगंगा प्लस टू स्कूल में शिक्षिका हैं। बच्चों को इतिहास पढ़ाती हैं। स्पोर्ट्स एक्टिविटी को लेकर भी छात्रों को काफी जागरूक किया। इस वजह से ही उन्हें खेल शिक्षक का भी प्रभार सौंपा गया है। इनके प्रयास से स्कूल की छात्राएं एथलेटिक्स में राज्य स्तर तक का पुरस्कार जीत चुकी हैं। लड़कियों के लिए डॉक्टर मीनाक्षी अक्सर विशेष मुहिम भी चलाती हैं। ‘खुद भी पढ़ो और दूसरे को भी पढ़ाओ’ अभियान चलाया। शिक्षा से वंचित सैकड़ों छात्राएं इस अभियान से जुड़ीं। वे दूसरे बच्चों को भी शिक्षित कर रही हैं। दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ भी छात्राओं को जागरूक करती हैं। दलित इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करती हैं। इससे उस इलाके की लड़कियों ने बड़ी संख्या में एडमिशन लिया है।
वहीं, सिकंदर कुमार सुमन कैमूर के न्यू प्राथमिक विद्यालय तरहनी के प्रभारी प्रिंसिपल हैं। शिक्षक सिकेंद्र कुमार ने बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा देने की ट्रेनिंग दी। उन्होंने सभी को बताया कि ऑनलाइन परीक्षा कैसे दी जाती है। इसके बाद यहां के बच्चे मोबाइल पर ऑनलाइन परीक्षा देते हैं। शिक्षक सिकेंद्र कुमार ने स्कूल में ऐसी व्यवस्था की है कि उनके बच्चे अन्य सरकारी स्कूल के बच्चों से पूरी तरह से अलग दिखे। उन्हें टाई और बेल्ट मुहैया कराया। सभी बच्चे टाई और बेल्ट लगा कर स्कूल आते हैं। न्यू प्राथमिक विद्यालय तरहनी में 5वीं क्लास के बच्चों के पास अपना ईमेल आईडी है। शिक्षक सिकेन्द्र कुमार ने सभी को इसका इस्तेमाल करने के लिए बताया है। सरकारी स्कूल के पांचवी के बच्चे ईमेल आईडी के जरिए मैसेज करते हैं। एग्जाम से लेकर पढ़ाई से जुड़े कंटेंट को एक-दूसरे से ई मेल पर शेयर करते हैं।