जम्मू-कश्मीर | विधानसभा में धारा-370 के मुद्दे को लेकर भारी हंगामा मच गया। इस मुद्दे पर तकरार उस समय बढ़ गई, जब इंजीनियर राशीद के भाई ने विधानसभा में धारा-370 के समर्थन में बैनर दिखाया, जिससे पूरे सदन में अफरातफरी मच गई। विपक्षी दलों ने इस बैनर को लेकर कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हाथापाई शुरू हो गई।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक विशेष सत्र के दौरान, इंजीनियर राशीद के भाई ने धारा-370 के समर्थन में एक बैनर लहराया, जिससे सदन में हलचल मच गई। धारा-370 को लेकर भाजपा और अन्य सत्तारूढ़ दलों के विचार और दृष्टिकोण में काफी अंतर है, खासकर इस धारा को समाप्त किए जाने के बाद से। ऐसे में इस बैनर का दिखाया जाना, सदन में एक विवादित मुद्दे को और हवा दे गया।
विपक्ष के नेता, सुनील शर्मा ने बैनर को लेकर आपत्ति जताई और इसे सदन के नियमों के खिलाफ बताया। इसके बाद, दोनों पक्षों के विधायक एक-दूसरे से भिड़ गए। स्थिति इतनी बढ़ गई कि विधायकों के बीच शारीरिक झड़प हो गई। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी
धारा-370 के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कभी भी तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि यह विषय न केवल राज्य के राजनीतिक माहौल में, बल्कि देशभर में भी संवेदनशील है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 2019 में धारा-370 को समाप्त करने के बाद इसे एक ऐतिहासिक कदम करार दिया था, जबकि विपक्ष इसे एक संवैधानिक उल्लंघन मानता है।
इंजीनियर राशीद, जो पहले भी सरकार की नीतियों और भाजपा के खिलाफ मुखर रहे हैं, उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाकर एक नई बहस छेड़ दी। उनका यह कदम विधानसभा में व्याप्त राजनीतिक उथल-पुथल को और बढ़ा गया।
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित
हंगामे के बाद विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। यह घटना राज्य की राजनीति में एक नए विवाद को जन्म देती है, जो आने वाले दिनों में और तेज हो सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस तरह के घटनाक्रम से राज्य में विभिन्न दलों के बीच घमासान और भी बढ़ सकता है, खासकर आगामी चुनावों के संदर्भ में।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में धारा-370 के मुद्दे पर हुए इस हंगामे ने राज्य की राजनीति में नए सवाल उठाए हैं। जहां एक ओर यह मुद्दा केंद्र सरकार और भाजपा के लिए एक विजय है, वहीं विपक्ष इसे संवैधानिक संकट मानता है। विधानसभा में विधायकों के बीच इस तरह की हिंसक झड़प राज्य के राजनीतिक माहौल को और भी उथल-पुथल से भर सकती है।