पटना | हाल के दिनों में कोचिंग सेंटर्स द्वारा किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्रीय सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। अब कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके विज्ञापन पूरी तरह से सही और तथ्यपूर्ण हों, और वे छात्रों को किसी प्रकार के झूठे या गुमराह करने वाले वादे न करें। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा जारी किए गए इन नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोचिंग सेंटर्स को 100% सिलेक्शन या नौकरी के वादे करने की अनुमति नहीं होगी। इस प्रकार के भ्रामक प्रचार करने पर कोचिंग सेंटर्स पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य
कोचिंग सेंटर्स द्वारा अक्सर यह दावा किया जाता है कि उनके पास 100% सफलता दर है और उनके छात्र हर परीक्षा में सफल होते हैं या नौकरी प्राप्त करते हैं। हालांकि, इन दावों का कोई ठोस आधार नहीं होता और यह छात्रों को गलत उम्मीदों के साथ गुमराह करते हैं। नए दिशा-निर्देशों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को ऐसे भ्रामक और गलत प्रचार से बचाना है, जो उनके लिए आर्थिक और मानसिक नुकसान का कारण बन सकता है।
जुर्माने का प्रावधान
नई गाइडलाइन के तहत, यदि कोई कोचिंग सेंटर भ्रामक विज्ञापन देता है या कोई झूठा वादा करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) अब तक 54 कोचिंग सेंटर्स को नोटिस जारी कर चुका है और लगभग 54.60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह जुर्माना उन संस्थाओं पर लगाया गया है जिन्होंने अपने विज्ञापनों में 100% सफलता या नौकरी के वादे किए थे, जो कि धोखाधड़ी और उपभोक्ताओं के विश्वास के खिलाफ हैं।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
इस तरह के कदमों से छात्रों को राहत मिलेगी, जो बिना पूरी जानकारी के ऐसे संस्थानों के जाल में फंस जाते हैं। यह दिशा-निर्देश न केवल छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे, बल्कि कोचिंग सेंटर्स को भी यह एहसास होगा कि उन्हें अपनी पेशेवरता और विज्ञापन रणनीतियों में पारदर्शिता बरतनी होगी। साथ ही, यह सुनिश्चित होगा कि जो संस्थान योग्य और विश्वसनीय हैं, उनका प्रचार सही तरीके से किया जाए, जिससे शिक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का माहौल भी बेहतर हो सके।
भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ी निगरानी और जुर्माना लगाने के नए दिशा-निर्देश शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम साबित हो सकते हैं। इससे छात्रों को सही और स्पष्ट जानकारी मिलेगी, और वे बिना किसी झूठे वादे के किसी कोचिंग संस्थान में दाखिला ले सकेंगे। वहीं, कोचिंग सेंटर्स को भी अपनी जिम्मेदारी और पारदर्शिता को समझते हुए अपने प्रचार को उचित तरीके से प्रस्तुत करना होगा।