पटना | बिहार में छठ पूजा का पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है, और इस बार भी राजधानी पटना के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है। इस विशेष अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने गंगा घाट पहुंचकर छठ पूजा में भाग लिया और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित किया।
छठ पूजा की महिमा
छठ पूजा, सूर्य देवता और उनकी पत्नी उषा की पूजा का महत्वपूर्ण पर्व है, जो खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से प्रकृति की पूजा, समाज में एकता और आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
पटना के गंगा घाट पर सुबह से ही छठ व्रति और श्रद्धालु अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए थे। भक्तों ने सूर्योदय से पहले उबटन, स्नान, और अन्य अनुष्ठान किए। शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के लिए घाट पर भारी भीड़ उमड़ी।
नेताओं का घाट पर पहुँचना
इस दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का घाट पर पहुंचना राज्य की राजनीतिक और सामाजिक समरसता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि छठ पूजा बिहार की संस्कृति और गौरव का प्रतीक है। इस मौके पर उन्होंने बिहारवासियों को शुभकामनाएं दी और आशा जताई कि यह पर्व सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आए। वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने छठ पूजा को भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बताया।
समाज और राजनीति में दिखी एकता
राज्य में राजनीतिक समीकरण चाहे जैसे भी हों, छठ पूजा के दौरान हर कोई एकता और भाईचारे के संदेश को फैलाने में जुटा हुआ है। इस वर्ष का छठ पर्व समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा अध्यक्ष नड्डा के साथ-साथ अन्य नेता भी अपने-अपने स्थानों से इस पर्व की महिमा का बखान कर रहे हैं।
बिहार में छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा बिहार के ग्रामीण और शहरी जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व प्रकृति से जुड़ी हुई पूजा है, जो जीवन के हर पहलू में शुद्धता और संतुलन का संदेश देता है। पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, और इसका समापन उबटन और अर्ध्य देने के बाद होता है। बिहार के हर गांव, कस्बे और शहर में यह पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
इस मौके पर गंगा घाट की रौनक देखने लायक थी। घाटों पर दीपों की झालरें और भक्तों का उत्साह यह सिद्ध कर रहा था कि छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार बन चुकी है।
आज पूरा बिहार छठ के रंग में रंगा हुआ है, और लोग अपनी मेहनत, श्रद्धा और आस्था के साथ इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मना रहे हैं।