रामेश्वर जूट मिल फिर से शुरू, मजदूरों में खुशी की लहर

Prashant Prakash
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समस्तीपुर | उत्तर बिहार के कल्याणपुर प्रखंड स्थित रामेश्वर जूट मिल मुक्तापुर ने चार दिनों के बाद फिर से अपने उत्पादन कार्य को शुरू किया, जिससे मिल के मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। यह मिल बिहार का एकमात्र ऐसी उद्योग है जो पटसन से बोड़ा (जूट बोरी) का उत्पादन करती है। 

मिल को इस बार छठ पर्व के मद्देनजर चार दिनों के लिए बंद कर दिया गया था, जो बिहार का सबसे बड़ा और श्रद्धा से भरा पर्व है। इस दौरान मिल की बंदी ने न केवल उत्पादन पर असर डाला, बल्कि मजदूरों की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हुई। लेकिन सोमवार को जब मिल में फिर से उत्पादन शुरू हुआ, तो मजदूरों ने राहत की सांस ली और उनके चेहरों पर खुशियां लौट आईं। 

मजदूरों को मिला रोजगार, बढ़ी उम्मीदें
मिल की दो पाली में उत्पादन फिर से चालू हो चुका है। इस समय लगभग 900 से 1000 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। इन मजदूरों के लिए यह कार्य न केवल आर्थिक निर्भरता का स्रोत है, बल्कि उनके परिवारों के लिए यह रोज़ी-रोटी, बच्चों की शिक्षा, और भरण-पोषण का भी अहम जरिया है। मजदूरों के अनुसार, यह मिल उनके जीवन का अहम हिस्सा है, जिससे उन्हें न केवल काम मिलता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। 

मिल के अध्यक्ष, अनिल राय ने इस पहलू को प्रमुखता से बताया और कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ उत्पादन ही नहीं, बल्कि यहां काम करने वाले मजदूरों की भलाई भी है। उन्होंने आगे कहा कि मिल के फिर से खुलने से न केवल मजदूरों का जीवन सुधरेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। 

छठ पर्व के कारण मिली थी कुछ दिन की राहत
रामेश्वर जूट मिल ने छठ पर्व के अवसर पर अपने कार्य को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था, क्योंकि इस दौरान सभी कर्मचारी और मजदूर अपने-अपने घरों में पारंपरिक पूजा-अर्चना में व्यस्त थे। छठ पर्व बिहारवासियों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है, और इस दौरान कामकाजी लोग भी अपने घरों की ओर लौटते हैं। ऐसे में मिल का बंद होना एक स्वाभाविक निर्णय था। हालांकि, मिल का फिर से खुलना मजदूरों के लिए एक राहत की खबर साबित हुई है। 

आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक कदम
रामेश्वर जूट मिल के संचालन के साथ ही न केवल मजदूरों के परिवारों को स्थिरता मिलती है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण योगदान है। इस मिल के उत्पादन से न केवल बिहार, बल्कि अन्य प्रदेशों में भी जूट बोरी की आपूर्ति की जाती है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और व्यापार की गतिविधियाँ तेज होती हैं। 

आखिरकार, रामेश्वर जूट मिल का फिर से खुलना न सिर्फ मजदूरों के लिए खुशी का कारण बना, बल्कि पूरे इलाके में आशा और उम्मीद की किरण लेकर आया है। अब यह मिल लगातार उत्पादन के साथ अपनी यात्रा जारी रखेगी, और इसके चलते न केवल मिल के कर्मचारियों का जीवन सुधरेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

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