पटना | बिहार खेल विश्वविद्यालय, राजगीर में अब एक नई दिशा की शुरुआत हो रही है। राज्य सरकार ने इस विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में शिशिर सिन्हा की नियुक्ति की है। शिशिर सिन्हा, जो पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं, अब इस विश्वविद्यालय के नेतृत्व में होंगे। बिहार के खेल जगत में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो राज्य में खेलों के विकास को नई ऊँचाईयों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
शिशिर सिन्हा की प्रतिष्ठित पृष्ठभूमि
शिशिर सिन्हा 1982 बैच के IAS अधिकारी रहे हैं, और उनका प्रशासनिक करियर काफी प्रभावशाली रहा है। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उन्हें यह नियुक्ति खेल विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के तहत मिली है। इससे पहले, शिशिर सिन्हा को विभिन्न प्रशासनिक जिम्मेदारियों का अनुभव रहा है, जो उन्हें इस विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नेतृत्व प्रदान करने में सहायक होगा।
उनकी नियुक्ति को लेकर राजनीति में भी चर्चा हो रही है। शिशिर सिन्हा भाजपा के राज्यसभा सांसद रहे, सीपी ठाकुर के दामाद हैं, और यह उनका तीसरा महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद है। इसके अलावा, उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी के रूप में भी जाना जाता है, जिससे उनका प्रशासनिक दृष्टिकोण और नीति निर्माण में एक विशेष अहमियत मिलती है।
बिहार खेल विश्वविद्यालय का उद्देश्य और भूमिका
बिहार खेल विश्वविद्यालय का उद्देश्य राज्य में खेलों की संस्कृति को बढ़ावा देना और खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान करना है। राजगीर में स्थित यह विश्वविद्यालय राज्य में खेल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित करेगा। शिशिर सिन्हा के नेतृत्व में इस विश्वविद्यालय को राज्य के खेलों के दायरे में महत्वपूर्ण बदलाव और सुधार लाने की उम्मीद है।
शिशिर सिन्हा की नियुक्ति का महत्व
शिशिर सिन्हा की नियुक्ति को एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर अपनी सूझ-बूझ और अनुभव को इस नए विश्वविद्यालय के विकास में लगाएंगे। खेल शिक्षा, शोध, प्रशिक्षण और खेल आयोजनों के विकास के लिए उनके पास एक मजबूत दृष्टिकोण होगा। इससे न केवल बिहार के खिलाड़ियों को बल्कि राज्य को भी खेलों के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलने की संभावना है।
इस नियुक्ति से यह भी संकेत मिलता है कि राज्य सरकार खेलों को एक गंभीर और प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में देख रही है, जो भविष्य में बिहार को खेल जगत में एक महत्वपूर्ण केंद्र बना सकता है।
शिशिर सिन्हा की नियुक्ति बिहार खेल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति के रूप में राज्य के खेल विकास के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय को खेलों की क्षेत्र में एक नई दिशा मिल सकती है, और राज्य के खिलाड़ी और खेल संगठन इस बदलाव का लाभ उठा सकते हैं। यह कदम राज्य में खेलों के प्रति बढ़ते हुए ध्यान और सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।