जो जला दिया गया... वो ज़िंदा लौट आया! - बिहार में हैरान करने वाला मामला, मरा समझा गया शख्स डेढ़ महीने बाद लौटा

Prashant Prakash
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दरभंगा, बिहार – फिल्मी कहानियों जैसी एक सच्ची घटना ने दरभंगा जिले में सबको चौंका कर रख दिया है। एक ऐसा शख्स जिसे परिवार और प्रशासन ने मृत मान लिया, विधिवत उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया... लेकिन वह शख्स डेढ़ महीने बाद ज़िंदा लौट आया। अब इस मामले ने स्थानीय प्रशासन से लेकर न्यायालय तक को झकझोर कर रख दिया है।

यह चौंकाने वाली घटना दरभंगा जिले की है, जहाँ एक व्यक्ति को सड़क हादसे में मृत मान लिया गया था। दुर्घटनास्थल पर एक अधजली लाश मिलने के बाद परिजनों ने उसे अपने परिवार के सदस्य के रूप में पहचान लिया और उसकी अंत्येष्टि कर दी गई। समाज के रीति-रिवाजों के तहत सबकुछ हो गया—शोक सभा, क्रियाकर्म और रस्में भी पूरी कर दी गईं।

लेकिन सबको हैरान करते हुए वही 'मृतक' शख्स डेढ़ महीने बाद अचानक जीवित अवस्था में व्यवहार न्यायालय में पेश हुआ। उसने अदालत के सामने बयान दिया कि उसे मारा नहीं गया था, बल्कि उसका अपहरण किया गया था।

क्या है पूरा मामला?  
जानकारी के अनुसार, कुछ समय पहले दरभंगा के एक शख्स की मौत की खबर सामने आई थी। पुलिस को सड़क किनारे एक जलती हुई लाश मिली, जो पूरी तरह से पहचान योग्य नहीं थी। शव की हालत इतनी खराब थी कि डीएनए परीक्षण तक नहीं कराया गया। परिजनों ने कपड़ों और अन्य सामान के आधार पर शव की पहचान की और मान लिया कि यह उन्हीं का बेटा है। पुलिस ने भी केस को सड़क हादसा मानकर बंद कर दिया।

परिवार ने अंतिम संस्कार कर दिया और शोक में डूब गया। लेकिन डेढ़ महीने बाद जब यह व्यक्ति खुद अदालत में पेश हुआ, तो सबके होश उड़ गए। उसने बताया कि उसे कुछ लोगों ने अगवा कर लिया था। अपहरणकर्ताओं ने उसे एक अज्ञात स्थान पर बंधक बनाकर रखा और किसी कारणवश बाद में छोड़ दिया। 

प्रशासन और पुलिस पर उठे सवाल 
अब इस मामले में पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बिना डीएनए परीक्षण के शव की पहचान मान लेना, और अपहरण की संभावना को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं लापरवाही को दर्शाता है। 

परिवार की हालत 
परिवार वालों की स्थिति इस समय मिश्रित भावनाओं से भरी है। एक ओर बेटा लौट आया है, दूसरी ओर उन्होंने जिस शव का अंतिम संस्कार किया, वह कौन था – यह सवाल अब उन्हें परेशान कर रहा है। 

अब आगे क्या?
अब पुलिस इस मामले की दोबारा जांच कर रही है—वह जलती हुई लाश किसकी थी? अपहरण किसने किया? और क्या यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है?

यह मामला न केवल दरभंगा बल्कि पूरे बिहार में चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ यह जीवन की अनिश्चितता को दर्शाता है, तो दूसरी ओर यह पुलिस की कार्यप्रणाली और पहचान की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।

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