बिहार के लाल ने आखिरी सांस तक निभाया फर्ज, साथियों को बचाते शहीद हुए थे मो. इम्तियाज

Prashant Prakash
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सीमा पर दुश्मन की नापाक हरकत एक बार फिर सामने आई, लेकिन इस बार भारतीय धरती ने एक और वीर सपूत खो दिया। 10 मई को जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई अकारण गोलीबारी में बिहार के छपरा जिले के नारायणपुर गांव निवासी सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सब-इंस्पेक्टर मो. इम्तियाज शहीद हो गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते के केवल 3 घंटे बाद हुई।

सीजफायर की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए पाकिस्तान की सेना ने फिर से संघर्षविराम का उल्लंघन किया और गोलीबारी शुरू कर दी। मो. इम्तियाज उस समय अपने पोस्ट की कमान संभाल रहे थे। जब दुश्मन की गोलियां बरसने लगीं, तब उन्होंने अदम्य साहस और नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए अपने साथी जवानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। गोलियां चलती रहीं, लेकिन वह तब तक डटे रहे जब तक अंतिम सांस नहीं ली। अपने साथियों की जान बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान की कुर्बानी दे दी।

मो. इम्तियाज के शहीद होने की खबर जैसे ही उनके पैतृक गांव नारायणपुर पहुंची, पूरा गांव शोक में डूब गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है, लेकिन गर्व भी है कि उनका बेटा देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।

स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मो. इम्तियाज का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उनके अंतिम संस्कार में हज़ारों की भीड़ उमड़ी, जहां ‘भारत माता की जय’ और ‘मो. इम्तियाज अमर रहें’ के नारों से आसमान गूंज उठा।

सरकार की ओर से उन्हें शहीद का दर्जा देने के साथ-साथ परिवार को हर संभव सहायता देने की घोषणा की गई है। सेना और BSF के अधिकारियों ने भी उनके बलिदान को सलाम किया और कहा कि ऐसे बहादुर सिपाहियों की वजह से ही देश आज सुरक्षित है।

मो. इम्तियाज का नाम हमेशा देश के वीर शहीदों की सूची में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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