इस्लामाबाद — पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आ गया है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) के सांसद शाहिद अहमद खट्टक ने संसद के भीतर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर सीधा और तीखा हमला बोलते हुए उन्हें 'बुजदिल' करार दिया। इस बयान ने न केवल पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सेना और सरकार के रिश्तों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
सदन की कार्यवाही के दौरान खट्टक ने कहा, "पाकिस्तान की फौज में आज उत्साह की कमी है, क्योंकि उनका नेतृत्व कमजोर है। हमारे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मोदी का नाम लेने से डरते हैं। सेना के जवान सरहद पर अपने लीडर को आईना समझते हैं, लेकिन जब लीडर ही बुजदिल हो, तो उनके हौसले कैसे बुलंद होंगे?"
शाहिद खट्टक का यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान एक ओर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर सीमा पर तनाव और आतंकी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव अब सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों तक पहुंच चुका है।
खट्टक ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार आखिर सेना को किस प्रकार का संदेश देना चाहती है? उनका कहना था कि जब नेतृत्व में साहस की कमी होती है, तो यह सैनिकों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खट्टक का यह बयान महज भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि जनता के बीच सरकार की कमजोर छवि को उजागर करने की एक सुनियोजित कोशिश है। यह बयान आने वाले दिनों में शहबाज सरकार के लिए राजनीतिक संकट को और गहरा कर सकता है।
निष्कर्षत:, पाकिस्तान की संसद में 'बुजदिल पीएम' जैसे शब्दों का प्रयोग यह दर्शाता है कि देश के अंदरूनी हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। विपक्ष अब केवल आलोचना तक सीमित नहीं, बल्कि सीधे तौर पर प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि शहबाज शरीफ इस आलोचना का क्या जवाब देते हैं और क्या सेना इस राजनीतिक बयानबाजी पर कोई प्रतिक्रिया देती है।