बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में तकनीकी क्रांति ला दी है। अब राज्य की 243 विधानसभा सीटों के लिए टिकट हासिल करने का सपना देखने वाले इच्छुक प्रत्याशी एक सरल QR कोड स्कैन करके ही आवेदन कर सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को मुख्यधारा में लाना है।
QR कोड आवेदन प्रक्रिया
प्रत्येक इच्छुक उम्मीदवार को पहले कांग्रेस द्वारा जारी किए गए आधिकारिक QR कोड को अपने स्मार्टफोन से स्कैन करना होगा। इसके पश्चात् खुले डिजिटल फॉर्म में नाम, संपर्क विवरण, शैक्षिक पृष्ठभूमि, सामाजिक कार्यों तथा पार्टी में पूर्व अनुभव जैसे विवरण भरने होंगे। जमा होने वाला डेटा सीधा पार्टी के हाईकमान तक पहुंचेगा, जिससे मानवीय देरी तथा दखलअंदाज़ी कम होगी।
पारदर्शिता और युवा सशक्तिकरण
इस कदम के तहत कांग्रेस ने विशेष रूप से युवा और पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता देने का ऐलान किया है। सोशल मीडिया पर सक्रियता और क्षेत्रीय स्तर पर किए गए जनसंपर्क अभियानों का भी मूल्यांकन आवेदन के साथ जुड़ा रहेगा। यह प्रणाली केवल टिकट वितरण को पारदर्शी नहीं बनाएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भी स्वयं साबित होने का मौका देगी।
तकनीकी सुविधाएँ और डिजिटल वॉर रूम
पार्टी के डिजिटल वॉर रूम में विभिन्न जिलों से आने वाले आवेदन का रियल-टाइम विश्लेषण किया जाएगा। उम्मीदवारों की सोशल मीडिया उपस्थिति, ‘हर घर झंडा’ अभियान में भागीदारी और जनसभा में उनकी भूमिका को AI-समर्थित टूल्स की मदद से आंका जाएगा। इस तरह का डेटा-चालित दृष्टिकोण कांग्रेस की चुनावी रणनीति को और अधिक वैज्ञानिक बनाएगा।
चुनौतियाँ और आलोचना
हालांकि, कुछ विश्लेषकों ने सवाल उठाया है कि तकनीक पर आधारित यह प्रक्रिया ग्रामीण और डिजिटल साक्षरता में कमी वाले क्षेत्रों के उम्मीदवारों के लिए बाधाएं खड़ी कर सकती है। साथ ही, QR प्रयासों को लागू करने में तकनीकी गड़बड़ियां और नेटवर्क अस्थिरता भी परेशानी का कारण बन सकती हैं। इसलिए, कांग्रेस ने आश्वासन दिया है कि तकनीकी सहायता केंद्र एवं हेल्पलाइन नंबर दिन–रात उपलब्ध रहेंगे।
राजनीतिक मायने
राजनीतिक दृष्टिकोण से यह कदम कांग्रेस की संगठनात्मक मजबूती तथा INDIA ब्लॉक के भीतर उसकी तकनीकी साक्षरता को दर्शाता है। भाजपा जैसी पार्टियाँ पहले ही QR कोड का प्रयोग अपनी सदस्यता अभियान में कर चुकी हैं, लेकिन टिकट चयन प्रक्रिया में इसका पहला प्रयोग कांग्रेस द्वारा ही किया गया है। इससे पार्टी को न केवल जमीनी स्तर पर छाप छोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि व्यापक युवा वर्ग में भी उसका रूझान बढ़ेगा।
कुल मिलाकर, कांग्रेस का यह हाईटेक QR कोड प्लान बिहार चुनावी मैदान में पारदर्शिता और संगठनात्मक दक्षता की नई मिसाल कायम कर सकता है। हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन डिजिटल तकनीकों का यह इस्तेमाल राजनीतिक प्रक्रियाओं में विश्वास बहाल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। आने वाले दिनों में आवेदन प्रक्रिया में आई सुगमता तथा उम्मीदवारों की विविधता इस पहल की वास्तविक सफलता तय करेगी।