अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान को लेकर भारतीय राजनीतिक गलियारों में चर्चा के केंद्र बन गए हैं। इस बार उन्होंने खुद को 'दुनिया का सरपंच' करार देते हुए कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कही है, जो भारत की संप्रभुता और विदेश नीति की आत्मनिर्भर सोच के विरुद्ध जाता है।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा, "हमारी प्रेस वार्ता से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ने घोषणा की। शिमला समझौते के तहत भी ये कतई उचित नहीं था। जो अपने आप को दुनिया के सरपंच समझते हैं, उनका बयान हमारे जैसे विशाल और संप्रभु राष्ट्र के लिए कतई सही नहीं है।"
मनोज झा ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा आत्मनिर्भरता और आपसी संवाद पर आधारित रही है। शिमला समझौते (1972) के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सभी विवाद द्विपक्षीय तरीके से सुलझाए जाने की बात स्पष्ट है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का कोई स्थान नहीं है।
सरकार से की कड़े प्रतिकार की मांग
झा ने यह भी कहा कि यह मामला किसी एक राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि देश के मिजाज और गरिमा का है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह इस बयान का सख्त और आधिकारिक प्रतिकार करे ताकि विश्व मंच पर भारत की स्थिति स्पष्ट और सशक्त रूप में बनी रहे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू
इस बयान के बाद विपक्षी दलों के साथ-साथ कुछ विदेश नीति विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है कि यदि भारत ऐसे बयानों को नजरअंदाज करता है, तो इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गलत संदेश जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के 'सरपंच' वाले बयान ने एक बार फिर भारत-अमेरिका संबंधों में बयानबाजी के स्तर पर हलचल मचा दी है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार इस बयान को किस रूप में लेती है और विश्व मंच पर अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कैसे प्रतिक्रिया देती है।