बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नई विधानसभा की प्रोफ़ाइल सामने आ गई है। PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार चुने गए विधायकों की शैक्षणिक योग्यता और जनसांख्यिकीय आंकड़ों में कई रोचक पहलू देखने को मिले हैं।
40% नए MLA के पास नहीं है कोई कॉलेज डिग्री
इस बार बिहार विधानसभा में बड़ी संख्या में ऐसे विधायक चुने गए हैं जिन्होंने कॉलेज की शिक्षा प्राप्त नहीं की है।
कुल नए विधायकों में से 40% के पास कॉलेज की डिग्री नहीं है।
यह आंकड़ा बताता है कि राज्य की राजनीति में अब भी मैदान स्तर पर लोकप्रियता और संगठनात्मक पकड़ formal शिक्षा से ज्यादा असरदार है।
55 वर्ष से ऊपर वालों का दबदबा बढ़ा
विधायकों की उम्र के आंकड़े भी दिलचस्प हैं।
2015 में 34%
2020 में 40%
और इस बार 46% विधायक 55 साल से ज्यादा उम्र के हैं।
यानी पिछले दो चुनावों की तुलना में बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं का प्रतिनिधित्व स्पष्ट रूप से बढ़ा है।
महिला विधायकों की संख्या में बढ़ोतरी
बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी इस बार और अधिक मजबूत दिखी है।
PRS के अनुसार
2020 में महिला विधायक — 26
2024/2025 में महिला विधायक — 29
यह कुल 243 विधायकों का 12% है।
यानी महिलाओं की जीत में करीब 3 सीटों की वृद्धि दर्ज की गई है।
महिला प्रतिनिधित्व में यह बढ़ोतरी हालांकि अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है, लेकिन बिहार की राजनीति में धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है।
