शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले अवध ओझा ने राजनीति से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया है। टीचिंग के क्षेत्र में गहरी पकड़ और छात्रों के बीच लोकप्रियता के बाद जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा था, तब लोगों को उनसे काफी उम्मीदें थीं। लेकिन अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनका सफर राजनीति तक ही सीमित नहीं रहेगा।
📍 आम आदमी पार्टी से दिया इस्तीफ़ा
अवध ओझा ने राजनीति से संन्यास की घोषणा के साथ ही आम आदमी पार्टी (AAP) को भी छोड़ दिया।
याद दिला दें कि इसी साल उन्होंने दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा से AAP के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कड़ी हार मिली। चुनाव परिणाम ने उनके राजनीतिक करियर की दिशा को काफी प्रभावित किया।
📍 संन्यास के बाद क्या बोले अवध ओझा?
राजनीति से दूरी बनाने के तुरंत बाद एक पॉडकास्ट में अवध ओझा ने अपने मन की भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा—
> “अब मैं पहले से ज्यादा खुश हूं, क्योंकि अब मैं अपने मन की बात खुलकर कह सकता हूं।”
इस बयान से साफ है कि राजनीतिक दबाव और सीमाओं के कारण वे खुलकर अपनी बात रखने में सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे।
📍 राजनीति उनके लिए क्यों नहीं बनी स्थायी राह?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि—
शिक्षा और अध्यापन से आने वाले लोग राजनीति की कठोर जमीनी हकीकत से अक्सर असहज होते हैं।
ओझा के लिए शिक्षा-संबंधी मुद्दों पर बोलना आसान था, लेकिन राजनीति की रणनीतियों में ढलना शायद उतना सहज नहीं रहा।
चुनावी हार ने भी उनके मनोबल और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित किया।
📍 अब किस दिशा में बढ़ेंगे अवध ओझा?
संन्यास के बाद यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि अवध ओझा फिर से शिक्षा, मोटिवेशनल गाइडेंस और युवा वर्ग के लिए कंटेंट बनाने पर ज़्यादा ध्यान दे सकते हैं।
उनके पहले के वीडियोज़ और लेक्चर युवाओं में काफी लोकप्रिय रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि वो एक बार फिर उसी राह पर लौटेंगे।
राजनीति छोड़ने का फैसला भले ही चौंकाने वाला है, लेकिन अवध ओझा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी स्वतंत्र आवाज़ को सबसे ऊपर रखते हैं। शिक्षा जगत में उनकी वापसी कई युवाओं के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है।
