बिहार की सियासत में इस वक्त सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेज प्रताप यादव और भाजपा के बीच कुछ नया चल रहा है?
कारण स्पष्ट है — भाजपा सांसद रवि किशन से तेज प्रताप की लगातार दो दिनों में पटना एयरपोर्ट पर मुलाकात, और उसके तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तेज प्रताप को Y+ कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान किया जाना।
तेज प्रताप ने खुद कहा —
> “संजोग से कल भी रवि किशन जी से पटना एयरपोर्ट पर मिला था और आज भी उनसे यहां मुलाकात हो गई।”
परंतु बिहार की राजनीति में “संजोग” शब्द अक्सर “समझौते” का पर्याय बन जाता है — और यही वजह है कि यह मामला अब चर्चा का केंद्र बन गया है।
🔹 लगातार मुलाकातें और बढ़ी सुरक्षा — संयोग या संकेत?
तेज प्रताप यादव का भाजपा नेता से बार-बार मिलना, फिर केंद्र द्वारा अचानक सुरक्षा बढ़ाना — यह सिलसिला महज इत्तेफाक नहीं माना जा रहा।
तेज प्रताप बिहार चुनाव के बीच लगातार जिलों में दौरे कर रहे हैं। कई बार बिना सुरक्षा कर्मियों के देखे जाने के बाद उन्होंने खुद कहा था —
> “बिहार में सुरक्षा की स्थिति ठीक नहीं है, कब हमला हो जाए, कहा नहीं जा सकता।”
उनके इस बयान के कुछ ही दिनों बाद केंद्र की ओर से सुरक्षा में इजाफा होना कई सवाल खड़े करता है।
क्या यह सुरक्षा एजेंसियों की चिंता है, या राजनीतिक समीकरणों का नतीजा?
🔹 बिहार में 'संकेतों' से ही बनती है सियासत
बिहार की राजनीति का इतिहास बताता है कि यहां हर छोटी घटना बड़े संकेत देती है।
रवि किशन और तेज प्रताप — दोनों अलग राजनीतिक ध्रुवों के नेता हैं। एक भाजपा के प्रचारक चेहरे के रूप में, दूसरा लालू यादव परिवार से निकलकर अपनी नई पार्टी के साथ।
इनकी बार-बार हुई मुलाकात ने यह सवाल तो खड़ा कर ही दिया है कि क्या बदलते राजनीतिक परिदृश्य में नए रिश्ते बन रहे हैं?
कई राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे “बैक-चैनल कम्युनिकेशन” के रूप में देख रहे हैं। भले ही तेज प्रताप ने इसे संयोग बताया हो, लेकिन बिहार की जनता अब इसे राजनीतिक संकेत मानकर देख रही है।
🔹 ‘नई दिशा’ की ओर तेज प्रताप?
तेज प्रताप यादव हमेशा से बिहार की राजनीति में अपने अलग अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं — धार्मिकता, सनातन परंपरा, और अपनी स्पष्टवादिता के साथ वे परंपरागत राजनीति से अलग छवि गढ़ने में लगे हैं।
अब भाजपा सांसद से लगातार मुलाकात और केंद्र से मिली Y+ सुरक्षा ने इस धारणा को और मजबूत किया है कि शायद तेज प्रताप नई दिशा में सोच रहे हैं।
तेज प्रताप और भाजपा के बीच क्या चल रहा है, इसका जवाब आने वाला वक्त ही देगा।
लेकिन यह तय है कि इन दो घटनाओं — मुलाकात और सुरक्षा — ने बिहार की राजनीति में नई हलचल और अटकलों की लहर पैदा कर दी है।
फिलहाल जनता और विश्लेषक दोनों पूछ रहे हैं —
> “क्या यह सिर्फ संजोग है, या किसी बड़े समझौते की शुरुआत?”
