दूरदर्शन पत्रकारिता के आदि पुरुष थे संजय - डॉ संजय विजित्वर

Prashant Prakash
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लक्ष्मी दीक्षित (ग्वालियर) |  नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से कराये जा रहे सात दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज बुधवार को प्रशिक्षक हाजीपुर, बिहार के वरिष्ठ पत्रकार, कवि, साहित्यकार एवम दूरदर्शन केन्द्र पटना के प्रोग्राम एंकर डॉ.संजय विजित्वर ने किया। सर्वप्रथम नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव कुमुद रंजन सिंह ने डॉ. संजय विजित्वर का परिचय प्रशिक्षणार्थियों को कराते हुए कहा की डॉ. संजय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक जाना पहचाना नाम हैं।इन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत रेडियो से की थी एवम् सन् 2000 से डीडी 1 पर एंकरिंग की शुरुआत की। कुमुद रंजन जी ने बताया की डॉ. संजय न सिर्फ एक पत्रकार हैं बल्कि एक कवि और साहित्यकार भी हैं तथा उनकी चार एकल पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उनका एक यूट्यूब चैनल भी है।

प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए डॉक्टर संजय ने कहा कि हम आदिपत्रकार नारद मुनि की मानस संताने हैं। उन्होंने कहा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सबसे पहला उदाहरण महाभारत काल का है। जब संजय धृतराष्ट्र को महल में बैठे हुए कुरुक्षेत्र के युद्ध का लाइव टेलीकास्ट सुना रहे थे तो यह एक प्रकार से सूचना(समाचार) का लाइव टेलीकास्ट ही था जो वह अपनी दिव्य दृष्टि जोकि महर्षि वेदव्यास के द्वारा प्रदान की गई थी से धृतराष्ट्र को सुना रहे थे। इस प्रकार संजय दूरदर्शनपत्रकारिता के आदि पुरुष हैं। डॉ. संजय ने आगे कहा की पत्रकारिता कोई आसान कार्य नहीं है। एक पत्रकार को समाज के हर तबके का हितैषी बनना पड़ता है। एक पत्रकार में उतावलापन नहीं होना चाहिए। उसमें धैर्य और निष्पक्ष भाव से समाज के सभी वर्गों को समझने और उनकी बात को धैर्य पूर्वक सुनने का गुण होना चाहिए। 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक पत्रकार में जरूरी विशेष गुणों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता करने के लिए शब्दों के आरोह अवरोह की कला में पारंगत होना चाहिए। जिस प्रकार सरगम के सात सुरों को साधा जाता है ठीक वैसे ही एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार को अपनी खबर के हर एक शब्द को सटीक और बंधे हुए ढंग से प्रस्तुत करने की कला में पारंगत होना चाहिए। उसमें दिखावे की भावना नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर संजय के अनुसार पत्रकार एक साइकोलॉजिस्ट होता है जिसे सामने वाले के मन की बात को जानने की कला आती है। 

आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता में आयी विसंगतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल पत्रकार बनने की होड़ लग गई है। उन्होंने कहा कि जैसे कहावत है कि अध जल गगरी छलकत जाए वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चकाचौंध देखकर आजकल का युवा पत्रकारिता का प्रोफेशन अपना लेता है भले ही उसमें एक पत्रकार बनने के मूलभूत गुण नहीं होते। वह सिर्फ दिखावे में ही संतुष्ट रहता है। प्रशिक्षण के दौरान मंच का संचालन गीता जी और सुप्रिया जी ने व्यवस्थित ढंग से किया।

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