5 दशकों तक वामपंथी राजनीति की धुरी रहे सीताराम येचुरी का निधन

Prashant Prakash
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नई दिल्ली | CPM नेता सीताराम येचुरी का निधन हो गया है। वह काफी लंबे समय से बीमार थे और निमोनिया के इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती थे। उन्होंने 72 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह CPM के महासचिव थे। वह भारतीय राजनीति में वामपंथ के मजबूत चेहरों की अंतिम कड़ी के नेताओं में से थे।

उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 19 अगस्त को एम्स अस्पताल में भर्ती हुए थे और तब से ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे। पिछले दिनों उनकी सेहत में मामूली सुधार दिखा था, लेकिन फिर सांस लेने में परेशानी हुई तो स्थिति गंभीर हो गई। वह निमोनिया जैसी सीने के संक्रमण से पीड़ित थे। एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही थी, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

सीताराम येचुरी अपने पीछे पत्नी सीमा चिश्ती येचुरी और बेटी अखिला येचुरी को छोड़ गए हैं। उनके बेटे आशीष का 2021 में निधन हो गया था। सीताराम येचुरी ने छात्र जीवन से ही राजनीति शुरू की थी और वह जेएनयू छात्र संघ का हिस्सा रहे थे। आपातकाल के दौर में जेल जाने से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। करीब 5 दशकों के अपने राजनीतिक करियर में वह वामपंथ की धुरी रहे। उन्हें वामपंथी दलों को गठबंधन की राजनीति में लाने का भी श्रेय दिया जाता है। यूपीए वन और यूपीए टू के दौर में उन्होंने ही वामपंथी दलों को सरकार का हिस्सा बनने के लिए राजी किया था।

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