कई लोग बताते हैं कि उनकी जमीन पुश्तैनी जमीन है, जिसका बंटवारा उनके परदादा के जमाने में मौखिक रूप से किया गया था। इसका कोई लिखित कागजात नहीं है और उसके बाद उन जमीन के हिस्सेदारों में से बहुत से लोगों ने अपनी जमीन बेच भी दी है और अब जब सरकार जमीन का सर्वे का कार्य कर रही है तो उनके मौखिक बंटवारा किए गए जमीन का क्या होगा और खतियान किसके नाम होगी?
साथ ही वे बताते हैं कि बीते 10 वर्षों से कर्मचारी और अंचल अधिकारी के ऑफिस का चक्कर लगाते-लगाते थक गए, लेकिन उनकी पुश्तैनी जमीन का न तो मुटेशन उनके नाम हो सका और न ही आपसी बंटवारा। अब उन्हें डर सता रहा है कि सर्वे के बाद उनकी जमीन किसकी होगी?
आवासीय भूमि में ज्यादा दिक्कत
आवासीय भूखंड और कृषि योग जमीन को मापने में उतनी कठिनाइयां नहीं हैं जितनी की आवासीय भूमि में। खतियान पुरानी है। हालांकि, हिस्सेदारों ने या तो अपनी जमीन बेच दी या उसमें कई मकान बन गए हैं। अब जब सर्वे का कार्ड चल रहा है तो सभी खतियान के आधार पर अपनी हिस्सेदारी मांग रहे हैं, क्योंकि पहले के जमाने में जमीन का बंटवारा मौखिक आधार पर होता था। बहुत कम ही ऐसे व्यक्ति थे, जो बंटवारा के कागज बनाते थे या केवला होता था।
खतियान कैसे बनेगा?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के दौरान जमीन की पारिवारिक बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है। अगर बंटवारा मौखिक रूप से हुआ है तो संयुक्त खतियान बनेगा। सर्वे अधिकारियों के मुताबिक स्वघोषणा के समय अपनी जमीन का रकबा, चौहद्दी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी भू-राजस्व रसीद की फोटोकॉपी, खतियान की कॉपी आदि दस्तावेज देने होंगे।