पटना | बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक अहम और कड़ा आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब वे प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने के लिए अधिकृत नहीं होंगे। इस आदेश को राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, सिद्धार्थ द्वारा जारी किया गया है, और यह कदम शिक्षकों के समर्पण और सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से उठाया गया है।
आदेश की प्रमुख बातें
1. टीचरों पर कोचिंग में पढ़ाने पर रोक
सिद्धार्थ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब निजी कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने का कार्य नहीं करेंगे। यदि कोई शिक्षक इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इससे यह संदेश भी दिया गया है कि सरकारी शिक्षक केवल सरकारी स्कूलों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में ही ध्यान देंगे, और उन्हें अतिरिक्त आय के लिए कोचिंग करने से रोका जाएगा।
2. स्कूल टाइम के दौरान कोचिंग पर प्रतिबंध
सरकार ने यह भी निर्देशित किया है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे स्कूल के समय में कोचिंग संस्थानों में नहीं जाएंगे। यह कदम छात्रों को अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने और सरकारी स्कूलों में दिए जा रहे शिक्षण का पूरा लाभ उठाने के लिए उठाया गया है।
3. सोशल मीडिया पर रील बनाने पर भी रोक
शिक्षकों को सोशल मीडिया पर शिक्षण से संबंधित रील्स (Short videos) बनाने से भी रोक दिया गया है। सिद्धार्थ के मुताबिक, टीचरों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा देना है, और इस प्रकार के गतिविधियों में समय गंवाने की बजाय वे अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।
सरकार का उद्देश्य और इसे लेकर उम्मीदें
इस कड़े निर्णय का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और शिक्षक की जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देना है। राज्य सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि शिक्षक अपनी पूरी मेहनत और समय सरकारी स्कूलों के छात्रों को देने में लगा सकें। प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में शिक्षकों का अतिरिक्त समय व्यतीत करना सरकारी स्कूलों के लिए नुकसानदेह हो सकता है, और यही वजह है कि इस पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
सरकारी स्कूलों को मिल सकती है नई दिशा
इस आदेश के बाद उम्मीद की जा रही है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब अपनी पूरी ऊर्जा स्कूल के छात्रों के लिए समर्पित करेंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि बिहार सरकार सरकारी स्कूलों को प्राइवेट कोचिंग की बजाय एक बेहतर विकल्प के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर कुछ अभिभावकों का कहना है कि इससे सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकती है, क्योंकि शिक्षक अब अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करेंगे। वहीं कुछ अभिभावकों का यह भी मानना है कि यह कदम शिक्षक के व्यक्तिगत आय स्रोत को प्रभावित कर सकता है, लेकिन लंबे समय में यह बच्चों के हित में होगा।
बिहार सरकार का यह आदेश सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारियों में समर्पित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह देखना होगा कि इस फैसले के लागू होने के बाद शिक्षा के स्तर में कितना सुधार होता है, और क्या इससे राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता में कोई वास्तविक बदलाव आता है।