पत्रकारिता का बदलता स्वरूप, राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर संगोष्ठी में हुई महत्वपूर्ण चर्चाएँ

Prashant Prakash
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मोतिहारी | 16 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर "Changing Nature of Press" (पत्रकारिता का बदलता स्वरूप) विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन डॉ. राधाकृष्णन भवन, समाहरणालय में किया गया। इस आयोजन में जिलेभर के पत्रकारों, प्रशासनिक अधिकारियों और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया। संगोष्ठी ने पत्रकारिता के बदलते परिपेक्ष्य और इसकी समाज में भूमिका को लेकर गहरी चर्चाएँ की, जो भविष्य में पत्रकारिता के नए दृष्टिकोण को आकार देने में सहायक साबित हो सकती हैं।

उद्घाटन समारोह में अधिकारियों की उपस्थिति
संगोष्ठी का उद्घाटन जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल, पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात, नगर आयुक्त सौरभ सुमन यादव और जिले के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडे ने दीप प्रज्वलन कर किया। यह उद्घाटन समारोह पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर चर्चा को दिशा देने वाला था, जिसमें प्रशासन और मीडिया दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

जिलाधिकारी का उद्घाटन संबोधन
संगोष्ठी के उद्घाटन के दौरान जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा कि आज के डिजिटल युग में, पत्रकारिता का माध्यम चाहे प्रिंट हो या सोशल मीडिया, दोनों ही प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि इन माध्यमों से प्रशासन को जल्दी और सटीक जानकारी मिलती है, जिससे मामलों का शीघ्र समाधान किया जा सकता है। पत्रकारों की भूमिका को अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकार न केवल समाज की खबरों को सामने लाते हैं, बल्कि वे समाज की समस्याओं और आवाज़ को भी उठाते हैं। साथ ही, जिलाधिकारी ने मीडिया के स्वतंत्र कार्यक्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए किताबें भेंट करने की नई परंपरा की शुरुआत का सुझाव दिया।

पुलिस अधीक्षक का दृष्टिकोण
पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने अपने संबोधन में पत्रकारिता की स्वतंत्रता और उसकी ज़िम्मेदारियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया का दायित्व है कि वह समाज में सही जानकारी फैलाए और झूठी या भ्रामक जानकारी से बचें। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार और प्रशासन दोनों ही जनता के हित में कार्य करते हैं, और इसलिए दोनों के बीच अच्छे संबंध होने चाहिए। 

नगर आयुक्त की बातें
नगर आयुक्त सौरभ सुमन यादव ने सोशल मीडिया की प्रभावशीलता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से जनसमस्याओं का त्वरित समाधान किया जाता है, और यह प्रिंट मीडिया के साथ मिलकर समाज की समस्याओं को सशक्त रूप से उजागर करने का एक अहम साधन बन चुका है।

वरिष्ठ पत्रकारों का योगदान
संगोष्ठी के दौरान जिले के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडे ने भी पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि तकनीकी प्रगति और व्यावसायिकता के चलते मीडिया का रूप काफी बदल चुका है। मीडिया में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सच्चाई की खोज पर उन्होंने गहरा ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य समाज को सही सूचना देना और जनहित में काम करना होना चाहिए।

पत्रकारिता के सकारात्मक पक्ष को बढ़ावा देने का संकल्प
संगोष्ठी के दौरान यह भी तय किया गया कि पत्रकारिता के सकारात्मक पक्ष को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी उपस्थित सदस्यों ने एकजुट होकर इस संकल्प को लिया कि वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करेंगे और पत्रकारिता के उच्चतम मानकों का पालन करेंगे।

संगोष्ठी की प्रमुख चर्चाएँ
संगोष्ठी में विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई, जिनमें पत्रकारिता को संवैधानिक दर्जा देने की आवश्यकता प्रमुख रूप से उठाई गई। इसके अलावा, मीडिया की स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को भी स्पष्ट किया गया। पत्रकारों को समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने का आग्रह किया गया। इस अवसर पर नई परंपरा के तहत मोमेंटो की जगह किताबें भेंट करने का सुझाव दिया गया। साथ ही, बुके की जगह पौधा भेंट करने की परंपरा को बढ़ावा देने की अपील की गई।

सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी चर्चा की गई, जिसमें इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान दिया गया। संगोष्ठी में यह महत्वपूर्ण बिंदु उठाया गया कि सोशल मीडिया और न्यू मीडिया के तेजी से बढ़ते प्रभाव को संतुलित और जिम्मेदार तरीके से इस्तेमाल किया जाए।
समापन समारोह
संगोष्ठी के समापन पर डीपीआरओ ज्ञानेश्वर ने धन्यवाद ज्ञापन किया और इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन पत्रकारों को एक मंच प्रदान करते हैं, जिससे वे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के अपने संकल्प को दृढ़ कर सकते हैं। संगोष्ठी का संचालन वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर गौतम ने कुशलतापूर्वक किया।

यह संगोष्ठी न केवल पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर विचार करने का एक मंच साबित हुई, बल्कि यह पत्रकारों के लिए एक सशक्त संदेश भी थी कि वे समाज के सशक्त स्तंभ हैं। पत्रकारिता का विकास तकनीकी और व्यावसायिक बदलावों के साथ होगा, लेकिन इसके मूल उद्देश्य – समाज में सच्चाई और पारदर्शिता की स्थापना – कभी नहीं बदलना चाहिए।

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