पटना | 18 नवम्बर को भाकपा के नेतृत्व में पटना के दिनकर चौक पर एक विशाल धरना आयोजित किया गया, जिसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटर के खिलाफ तथा 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की मांग को लेकर व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ। धरने में भाकपा के साथ-साथ कांग्रेस, राजद, और अन्य कई राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों के नेता शामिल हुए और इस आंदोलन को जनहित में बेहद महत्वपूर्ण बताया।
धरने की अध्यक्षता भाकपा पटना जिला सचिव मंडल सदस्य और पूर्व पार्षद मोहन प्रसाद ने की, जबकि संचालन का जिम्मा जिला कार्यकारिणी सदस्य का. देवरत्न प्रसाद ने निभाया। धरने की शुरुआत करते हुए भाकपा के पटना जिला सचिव विश्वजीत कुमार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर को निजीकरण की एक घातक योजना करार दिया और कहा कि यह आम जनता को लूटने का एक तरीका है, जिससे कंपनियां मुनाफा कमाएंगी और गरीब जनता को मुश्किल में डालेगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भाकपा ने शुरुआत से ही इसके खिलाफ आवाज उठाई थी, और पार्टी के विधायक सुर्यकांत पासवान ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था।
आंदोलन के दौरान पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य का. रामलला सिंह ने कहा कि यह आंदोलन अब विपक्षी दलों का मुद्दा बन चुका है और इसे जनआंदोलन का रूप मिल चुका है। उनका कहना था कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार प्रीपेड मीटर की योजना को वापस नहीं ले लेती।
वहीं, खेत मजदूर यूनियन के पटना जिला महासचिव अर्जुन राम ने इस मीटर को बड़ा घोटाला करार दिया और कहा कि यह गरीबों को अंधेरे में रखने की साजिश है। उनका कहना था कि यह आंदोलन केवल प्रीपेड मीटर के खिलाफ नहीं, बल्कि 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की मांग तक जारी रहेगा।
भाकपा के अन्य नेताओं ने भी प्रीपेड मीटर को जन विरोधी बताते हुए कहा कि यह कदम सरकारी घोटालों को बढ़ावा देगा और लोगों की समस्याओं को और जटिल बनाएगा।
धरने में भाग लेने वालों में विधुत विभाग के सेवानिवृत्त अभियंता कारु प्रसाद, दलित अधिकार आंदोलन के जिला सचिव विनोद कुमार, राजद के व्यवसायिक महासचिव मुन्ना जयसवाल, कांग्रेस के नेता वसी अख्तर, शोषित समाज दल के प्रदेश अध्यक्ष अखलेश प्रसाद, तंजीम ए इंसाफ के सचिव गुलाम सरवर आजाद, एटक के राज्य सचिव कौशलेंद्र कुमार वर्मा, प्रलेस बिहार के उप महासचिव अनिश अंकुर, और मजदूर नेता अनंत शर्मा जैसे कई नेता शामिल थे। इसके अलावा सैंकड़ों लोग इस आंदोलन में शामिल हुए, जिनमें महिलाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य लोग भी थे, जो प्रीपेड मीटर को वापस लेने और बिजली के अधिकार की मांग में भागीदार बने।
भाकपा ने साफ तौर पर कहा है कि अगर सरकार प्रीपेड मीटर की योजना को वापस नहीं लेती है तो यह आंदोलन और तेज होगा, और जनता की आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा।