रक्सौल | ICP (इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट) के सभागार में सीमा सुरक्षा बल (SSB) के महानिदेशक (DG) की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में बेतिया के DIG, पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी, और पुलिस अधीक्षक, पूर्वी चंपारण ने भाग लिया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य सीमा सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक मजबूत और सुगम समन्वय स्थापित करना था। बैठक में 47वीं बटालियन SSB द्वारा सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती देने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच पारगमन को सहज बनाने और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर तालमेल बनाने के उपायों पर विचार किया गया।
सीमा सुरक्षा के नए रास्ते
बैठक के दौरान SSB अधिकारियों ने बताया कि सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में और अधिक सुधार की आवश्यकता है, खासकर तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए। इस दिशा में, उन्होंने नए उपायों को लागू करने की योजना बनाई है, जिससे सीमा पार जाने वाले नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
मैत्री पुल पर स्थल निरीक्षण
बैठक के बाद, DG SSB और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बीरगंज (नेपाल) और रक्सौल (भारत) को जोड़ने वाले मैत्री पुल का निरीक्षण किया। यह पुल दोनों देशों के नागरिकों के बीच व्यापार और यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने पुल पर SSB के कैंप और दोनों देशों के नागरिकों के लिए सुगम आवागमन की व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया।
अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि पुल पर सुरक्षा बलों की उपस्थिति बढ़ाई जाए, ताकि सीमा पार से आने-जाने वाले लोगों की सुरक्षा में कोई कमी न हो। इसके अलावा, मैत्री पुल पर सुरक्षा उपायों को और भी प्रभावी बनाने के लिए विस्तृत योजना बनाई गई।
नए समन्वय के संकेत
बैठक का मुख्य संदेश यह था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। बेतिया के DIG और पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी ने इस पहल की सराहना की और इसे जिले की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
यह बैठक यह भी स्पष्ट करती है कि भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा के मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच और भी घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है। इन समन्वय बैठकों के माध्यम से, SSB और अन्य सुरक्षा एजेंसियां दोनों देशों के बीच सीमा पार तस्करी, आतंकवाद और अन्य अपराधों को रोकने में मददगार साबित होंगी।
इस बैठक ने एक ओर साबित कर दिया कि सीमा सुरक्षा केवल एक देश की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के आपसी सहयोग से ही संभव है। सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए निरंतर संवाद और समन्वय की आवश्यकता है, जो इस बैठक के माध्यम से देखने को मिला। उम्मीद की जाती है कि इस तरह के और अधिक समन्वय बैठकें भविष्य में आयोजित की जाएंगी, जिससे सीमा सुरक्षा को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।