पटना में कचरा अब केवल गंदगी का कारण नहीं, बल्कि बिजली उत्पादन का साधन बनने जा रहा है। बिहार सरकार ने एक बड़ी और दूरगामी सोच के तहत पटना सहित राज्य के 11 नगर निकायों के कचरे से बिजली बनाने की परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण में मददगार होगी, बल्कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार को एक नई पहचान भी दिलाएगी।
परियोजना का स्वरूप और लागत
इस वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजना पर कुल ₹513 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्र सरकार 33% की हिस्सेदारी के तहत आर्थिक सहयोग देगी, जबकि शेष राशि PPP (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत निजी भागीदारों के माध्यम से जुटाई जाएगी। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों के ठोस कचरे का वैज्ञानिक ढंग से उपयोग करना और उसे ऊर्जा में बदलना है।
रामचक बैरिया में स्थापित होगा प्लांट
यह अत्याधुनिक संयंत्र पटना के रामचक बैरिया इलाके में स्थापित किया जाएगा। यह प्रतिदिन लगभग 1,600 टन ठोस कचरे का प्रसंस्करण करेगा, जिससे 15 मेगावाट बिजली उत्पन्न की जाएगी। इसके अतिरिक्त संयंत्र से इथेनॉल और कंपोजिट खाद का भी उत्पादन होगा। इस प्रक्रिया से बची अपशिष्ट सामग्री का उपयोग लैंडफिलिंग में किया जाएगा।
पर्यावरण और स्वच्छता की दिशा में बड़ी पहल:
यह परियोजना न केवल बिजली उत्पादन का नया जरिया बनेगी, बल्कि शहरी कचरा प्रबंधन की जटिल समस्या का भी समाधान पेश करेगी। इससे पटना सहित संबंधित नगर निकायों में साफ-सफाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और पर्यावरणीय प्रदूषण में भी कमी आएगी।
भविष्य की दिशा तय करती पहल
सरकार की यह पहल सतत विकास और स्वच्छ भारत मिशन को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह मॉडल अगर सफल होता है, तो आने वाले समय में अन्य जिलों और राज्यों में भी इसे अपनाया जा सकता है।
इस परियोजना को लेकर स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों में काफी उम्मीदें हैं। यदि तय समयसीमा में यह प्लांट चालू हो जाता है, तो यह बिहार को कचरा प्रबंधन और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बना सकता है।