पटना | बिहार में तिरहुत सीट पर होने वाले विधान परिषद उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आज से इस उपचुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह सीट हाल ही में हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के कारण खाली हो गई थी, जिसके बाद राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। तिरहुत उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
नामांकन प्रक्रिया और चुनावी तिथियाँ
तिरहुत विधान परिषद सीट के उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो चुकी है। नामांकन पत्रों की जांच 19 नवंबर को होगी, और चुनावी प्रक्रिया का अंतिम दिन 9 दिसंबर को होगा, जब वोटों की गिनती की जाएगी। इसके साथ ही, 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटिंग का समय सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम 4:00 बजे तक निर्धारित किया गया है।
राजनीतिक दलों की सियासी रफ्तार
चुनाव में प्रमुख मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन के बीच होने की संभावना है। NDA के कोटे से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रवक्ता अभिषेक झा चुनावी मैदान में हैं, जिन्हें पार्टी ने सिंबल भी दे दिया है। इसके अलावा, महागठबंधन की ओर से राजद (RJD) के गोपी किशन को उम्मीदवार बनाया गया है। दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को इस सीट पर विजय दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
NDA और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तिरहुत उपचुनाव महागठबंधन और NDA के लिए महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि यह चुनाव न केवल तिरहुत क्षेत्र की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव में आगामी रणनीतियों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। अभिषेक झा और गोपी किशन दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं, और क्षेत्रीय राजनीति में उनकी मजबूत पहचान है।
तिरहुत उपचुनाव का महत्व
तिरहुत सीट पर उपचुनाव का राजनीतिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि बिहार विधान परिषद में इस सीट से संबंधित प्रतिनिधित्व खाली था। इससे पहले इस सीट पर काबिज प्रतिनिधि के इस्तीफे ने उपचुनाव की जरूरत को जन्म दिया। इसके अलावा, तिरहुत क्षेत्र में बिहार के विभिन्न हिस्सों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे और विकास योजनाओं पर चर्चा तेज हो गई है, जो इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रही है।
नतीजों का प्रभाव
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस उपचुनाव के परिणाम राज्य की राजनीति में अहम बदलाव ला सकते हैं। यदि NDA या महागठबंधन की पार्टी को जीत मिलती है, तो यह गठबंधन के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में एक सकारात्मक संदेश हो सकता है।
अंततः, तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव में होने वाले मुकाबले से यह साफ हो जाएगा कि बिहार में आगामी दिनों में कौन सा राजनीतिक दल अपनी पकड़ मजबूत कर पाएगा। सभी की निगाहें अब नामांकन प्रक्रिया, प्रचार अभियान और मतगणना पर टिकी होंगी।