पटना | बिहार की राजनीति में एक बार फिर से बयानबाज़ी का दौर तेज़ हो गया है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान को बिहार का भावी मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा के बीच उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि "अब बिहार में अभिनेता मुख्यमंत्री नहीं बनेगा। अब नेता ही मुख्यमंत्री बनेगा, जो जनता का सच्चा सेवक हो, नायक हो — खलनायक नहीं।"
विजय सिन्हा ने चिराग पासवान पर नाम लिए बिना निशाना साधते हुए कहा, “बिहार को अब ऐसे नायक की जरूरत है, जो जमीन से उठकर आया हो, जिसने जनता के बीच विश्वसनीयता बनाई हो। अब वो समय चला गया जब सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए लोग अपने माता-पिता के नाम पर राजनीति करते थे। जनता अब ऐसे नेताओं से मुक्ति चाहती है।”
चिराग पासवान पर इशारों में हमला
चिराग पासवान की पृष्ठभूमि फिल्मी है और वे पहले अभिनेता रह चुके हैं। वर्ष 2011 में आई फिल्म *मिला के भी ना मिले हम* से उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। हालांकि फिल्मी करियर लंबा नहीं चला और बाद में उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को संभाला।
इसी संदर्भ में विजय सिन्हा के 'अभिनेता सीएम नहीं बनेगा' वाले बयान को चिराग पासवान के खिलाफ सीधा राजनीतिक हमला माना जा रहा है।
राजनीति में वंशवाद बनाम जनविश्वास की बहस
विजय सिन्हा ने अपने बयान में वंशवाद की राजनीति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब उस नेता को देखना चाहती है जो संघर्ष से निकला हो, जिसने जमीनी स्तर पर काम किया हो और जो वास्तव में जनसेवक हो। उनका इशारा साफ़ तौर पर उस वर्ग की ओर था जो परिवार की राजनीतिक विरासत पर राजनीति कर रहे हैं।
भाजपा का स्पष्ट संदेश
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब चिराग पासवान को NDA का हिस्सा बनाए जाने के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि आने वाले समय में भाजपा उन्हें सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती है। लेकिन विजय सिन्हा के इस बयान ने साफ कर दिया है कि भाजपा अभी भी ज़मीन से जुड़े नेतृत्व को तरजीह देना चाहती है।
चिराग की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल चिराग पासवान की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक बयानबाज़ी और तेज़ हो सकती है, खासकर तब जब लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है।
बिहार की राजनीति में यह बयान केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि एक विचारधारा के खिलाफ खड़े होने का संकेत है — एक तरफ वंशवाद और ग्लैमर की राजनीति, दूसरी ओर जमीनी संघर्ष से निकले जनसेवक। आने वाला समय बताएगा कि बिहार की जनता किसे नायक और किसे खलनायक मानती है।