अमेठी में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (UPSRLM) के अंतर्गत डीआरपी (District Resource Person) चयन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगा है। नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन (NJA) के राष्ट्रीय महासचिव के.आर. सिंह ने कहा कि अभ्यर्थियों को आधिकारिक नोटिस के बजाय केवल फोन कॉल कर परीक्षा में बुलाया गया, जबकि स्थानीय अधिकारियों का रवैया टालमटोल और उदासीन रहा — जिससे उच्च स्तरीय जांच की मांग उठी है।
NJA महासचिव ने अमेठी में तैनात अधिकारियों और ऑपरेटर — आदित्य कुमार सैनी व मो. मुस्लिम — से जानकारी माँगी, तो दोनों ने स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए टालमटोल रवैया अपनाया और बातचीत बीच में समाप्त कर दी। अधिकारियों की इस उदासीनता ने चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
NJA महासचिव ने कहा कि यदि परीक्षा से पहले ही कुछ तय प्रतीत होता है तो यह प्रक्रिया सिर्फ़ आकस्मिक नहीं, बल्कि बेरोजगारों के आर्थिक और मानसिक दोहन का साधन बन सकती है। सिंह ने बताया कि वर्ष 2024 में चयनित कई डीआरपी को अब तक कोई वास्तविक काम या जिम्मेदारी नहीं दी गई — जो यह संकेत देता है कि कई बार सिर्फ़ कोरम पूरा करने के लिए भर्ती की जाती है, न कि वास्तविक कार्य के उद्देश्य से।
उन्होंने आरोप लगाया कि आजीविका मिशन का मूल उद्देश्य—ग्रामीण आजीविका को सशक्त बनाना और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना—इन अनियमितताओं के कारण प्रभावित हो रहा है। इसलिए के.आर. सिंह ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से हस्तक्षेप कराकर इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय और पारदर्शी जांच कराने की मांग की है, साथ ही दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गुहार लगाई है।
