झारखंड के गढ़वा जिले के माझीयाओ अंचल से एक बेहद शर्मनाक और सनसनीखेज घटना सामने आई है। यहाँ के अंचल अधिकारी (सीओ) का सरकारी आवास उस समय हाई-वोल्टेज ड्रामा का केंद्र बन गया, जब उनकी पत्नी ने उन्हें उनकी प्रेमिका के साथ रंगे हाथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। इस घटना ने न सिर्फ अधिकारी के पद की गरिमा को तार-तार किया, बल्कि प्रशासनिक गलियारों में भी हड़कंप मचा दिया।
दीवार फांदकर पत्नी ने खोला 'राज'
यह पूरा घटनाक्रम सीओ के सरकारी आवास पर हुआ। पत्नी को अपने पति के अवैध संबंध की जानकारी पहले से थी, लेकिन रंगे हाथ पकड़ने के इरादे से वह मौके पर पहुंचीं। सूत्रों के अनुसार, पत्नी ने चालाकी से घर में घुसने के लिए दीवार फांदने जैसा साहसिक कदम उठाया। अंदर का दृश्य देखते ही पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
आक्रोशित पत्नी का 'लॉकअप'
क्रोध और अपमान से भरी पत्नी ने तत्काल कठोर कदम उठाया। उन्होंने सीओ और उनकी प्रेमिका, दोनों को सरकारी आवास के एक कमरे में बंद करके बाहर से ताला लगा दिया। सीओ अपनी पत्नी से बाहर निकलने की गुहार लगाते रहे, मिन्नतें करते रहे, लेकिन पत्नी का आक्रोश इतना गहरा था कि उन्होंने दरवाजा खोलने से साफ इनकार कर दिया। यह स्थिति सरकारी आवास के अंदर एक निजी 'लॉकअप' जैसी बन गई थी।
छत से कूदे सीओ, शुरू हुआ हंगामा
जब सीओ को लगा कि पत्नी दरवाजा नहीं खोलेंगी, तो उन्होंने स्थिति से भागने का एक हताश और खतरनाक तरीका अपनाया। सीओ छत से कूदकर घर से बाहर निकले और सार्वजनिक रूप से हंगामा करना शुरू कर दिया। एक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी का इस तरह से छिपकर भागना और हंगामा करना, पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।
पुलिस और अधिकारियों का हस्तक्षेप
पूरे मामले की सूचना मिलते ही स्थिति संभालने के लिए वरिष्ठ अधिकारी और पुलिसकर्मी मौके पर पहुँचे। उन्होंने पाया कि सीओ की पत्नी अभी भी आक्रोशित थीं और प्रेमिका कमरे में बंद थी। अधिकारियों और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया। अंततः, सीओ की प्रेमिका को पुलिस के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद इस मामले में कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
पद की गरिमा पर गंभीर प्रश्न
यह घटना न सिर्फ एक पारिवारिक विवाद है, बल्कि एक सरकारी सेवक के नैतिक आचरण और सेवा नियमों के उल्लंघन का गंभीर मामला भी है। एक प्रशासनिक पद पर रहते हुए सरकारी आवास का दुरुपयोग करना और सार्वजनिक रूप से ऐसा हंगामा होना, पूरे प्रशासन के लिए एक शर्मिंदगी का कारण है। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसे आचरण वाले अधिकारी अपने पद की जिम्मेदारी निष्पक्षता और ईमानदारी से निभा सकते हैं।
