दिल्ली स्टेशन भगदड़ में 12 वर्षीय नीरज की मौत, घर पहुंचते ही मचा कोहराम

Prashant Prakash
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पातेपुर | दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्लेटफॉर्म बदलने के दौरान मची भगदड़ में वैशाली जिले के पातेपुर प्रखंड के डभैच्छ गांव के 12 वर्षीय नीरज कुमार की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, इस घटना में दो महिलाओं समेत पांच अन्य लोग घायल हो गए। नीरज का शव जब रविवार को गांव पहुंचा, तो पूरे परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था, वहीं गांव के लोग भी इस हृदयविदारक घटना से गमगीन नजर आए।

कुंभ मेले के लिए निकला था नीरज, दिल्ली स्टेशन पर गई जान

मृतक नीरज कुमार, डभैच्छ पंचायत के वार्ड संख्या-06 निवासी रामप्रीत पासवान के पोते और संजीत पासवान के छोटे बेटे थे। वह अपने चाचा इंद्रजीत पासवान के साथ प्रयागराज कुंभ मेले में जाने के लिए दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। इसी दौरान प्लेटफॉर्म बदलते समय मची भगदड़ में वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

तीन महीने पहले गया था दिल्ली, मजदूर चाचा के साथ करता था पढ़ाई

नीरज तीन महीने पहले अपने चाचा-चाची के साथ दिल्ली गया था। वहां टीकरी बॉर्डर स्थित छोटू राम कॉलोनी में रहकर वह छठी कक्षा में पढ़ाई करता था, जबकि उसके चाचा-चाची मजदूरी कर परिवार चलाते थे। अचानक हुई इस दर्दनाक घटना ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।
शव पहुंचते ही गूंजीं चीख-पुकार, अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब

सोमवार को जब नीरज का शव उसके पैतृक गांव डभैच्छ पहुंचा, तो परिजनों में हाहाकार मच गया। मां बेसुध होकर गिर पड़ी, पिता सदमे में डूब गए, वहीं बहनें भाई के शव से लिपटकर बिलखती रहीं। गांव में मातमी सन्नाटा छा गया और अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए।

शव यात्रा में स्थानीय विधायक लखेन्द्र कुमार रौशन, सीओ पातेपुर, मुखिया पति वीरेंद्र राय, जाप के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी अनिल पासवान, पूर्व मुखिया देवेंद्र राय, पूर्व पंसस अध्यक्ष रंजीत चौधरी, समिति सदस्य कैलाश पासवान, वर्तमान पंसस अध्यक्ष अभिषेक कुमार उर्फ गुठली, सरपंच प्रतिनिधि श्याम चौधरी समेत कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

रेलवे को ठहराया जिम्मेदार, मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग

शव यात्रा के दौरान जन अधिकार पार्टी (JAP) के नेता अनिल पासवान ने रेलवे प्रशासन को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "रेलवे की लापरवाही से नीरज की जान गई है। मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।"

वहीं, स्थानीय मुखिया वीरेंद्र राय ने भी अंचलाधिकारी से तत्काल मुआवजा दिलाने की मांग की। इस पर सीओ ने हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, प्रशासन से मदद की आस

नीरज अपने परिवार का सबसे छोटा बेटा था। दो भाई-बहनों के साथ वह भी भविष्य के सपने संजोए हुए था, लेकिन दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़ ने उसकी जिंदगी छीन ली। अब परिवार सरकारी मदद की आस लगाए बैठा है, ताकि किसी तरह इस संकट से उबर सके।

रेलवे प्रशासन और सरकार को इस दर्दनाक घटना से सबक लेते हुए स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण के बेहतर इंतजाम करने चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जिंदगी असमय ना छिन जाए।

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