केंद्र सरकार ने डीपफेक और AI-जनरेटेड फर्जी कंटेंट पर लगाम कसने के लिए IT नियमों में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है। नए मसौदे के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, X (ट्विटर) और अन्य को अब ऐसे सभी कंटेंट पर स्पष्ट लेबल लगाना अनिवार्य होगा।
🔹 क्या है नया नियम?
AI या सिंथेटिक कंटेंट पर अनिवार्य रूप से “AI-generated” या “synthetic content” का लेबल लगाया जाएगा।
विजुअल कंटेंट (फोटो, वीडियो आदि) में यह लेबल कम से कम 10% हिस्से में स्पष्ट रूप से दिखना होगा।
ऑडियो कंटेंट में शुरुआत के 10% समय तक यह लेबल सुनाई देना जरूरी होगा।
नियमों का पालन नहीं करने पर संबंधित प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सकेगी।
🔹 सरकार का उद्देश्य
इस कदम का मकसद फेक न्यूज, डीपफेक, और भ्रम फैलाने वाले AI कंटेंट को रोकना है।
सरकार का कहना है कि इस लेबलिंग से यूजर्स को असली और नकली कंटेंट में फर्क समझने में मदद मिलेगी, जिससे मिसइनफॉर्मेशन पर लगाम लगाई जा सकेगी।
🔹 क्यों ज़रूरी हुआ ये कदम?
हाल के दिनों में AI आधारित डीपफेक वीडियो और आवाज़ों का उपयोग कर
राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर कई भ्रामक वीडियो वायरल हुए हैं।
इससे न केवल लोगों की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई, बल्कि जनता में भ्रम और अविश्वास भी बढ़ा।
🔹 विशेषज्ञों की राय
टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला “AI के दुरुपयोग पर नियंत्रण” की दिशा में एक अहम कदम है।
हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि लेबलिंग के साथ-साथ AI कंटेंट की पहचान के लिए मजबूत तकनीकी सिस्टम भी जरूरी होगा।
🔹 निष्कर्ष
भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो AI और डीपफेक रेगुलेशन को लेकर ठोस नीति बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
यह कदम आने वाले समय में डिजिटल स्पेस को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगा।
> 🎯 “अब AI का जादू चलेगा, लेकिन पारदर्शिता के साथ।”
