"यादव हो, पढ़कर क्या करोगे? भैंस चराओ" : सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने छात्र से की जातिसूचक टिप्पणी, यूपी का मामला

Prashant Prakash
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बांदा, उत्तर प्रदेश | शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले सरकारी स्कूलों में अगर छात्रों को जातिसूचक टिप्पणियों और शारीरिक दंड का सामना करना पड़े, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था पर, बल्कि समाज की मानसिकता पर भी एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक सरकारी जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक पर एक छात्र को बेरहमी से पीटने और उसकी जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है।
मामला क्या है?

घटना बांदा जिले के एक सरकारी जूनियर हाईस्कूल की है। पीड़ित छात्र सातवीं कक्षा में पढ़ता है। परिजनों के अनुसार, छात्र की 'गलती' केवल इतनी थी कि उसने अपनी कक्षा में पढ़ाने के लिए प्रिंसिपल की जगह एक महिला टीचर को बुला लिया था।

इस बात से प्रधानाध्यापक भड़क गए। उन्होंने छात्र को न केवल डंडों से बेरहमी से पीटा, जिससे छात्र के शरीर पर चोट के निशान पड़ गए, बल्कि उसे जातिसूचक टिप्पणी करते हुए अपमानित भी किया।

जातिसूचक और अपमानजनक टिप्पणी

छात्र और उसकी माँ के लगाए गए आरोपों के मुताबिक, प्रिंसिपल ने छात्र से कथित तौर पर कहा --

> "यादव हो, तुम पढ़ लिखकर क्या करोगे? जाओ, भैंस चराओ। अगर तुम लोग पढ़-लिख जाओगे, तो भैंस कौन चराएगा?"

> पीड़ित छात्र की माँ ने बताया कि जब वह शिकायत लेकर स्कूल गईं, तो प्रधानाध्यापक ने उनसे भी धमकी भरे लहजे में यही बात दोहराई और कहा कि 'ज्यादा कुछ करोगी तो हम कार्यवाही कर देंगे।'

जांच और आरोप-प्रत्यारोप

मामले की गंभीरता को देखते हुए, छात्र के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच शुरू कर दी है।

 * पुलिस कार्रवाई : देहात कोतवाली पुलिस के स्टेशन इंचार्ज जांच के लिए स्कूल पहुंचे और प्रधानाध्यापक का बयान दर्ज किया।

 * प्रिंसिपल का खंडन : हालांकि, प्रधानाध्यापक ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

 * विवाद का एंगल : प्रधानाध्यापक ने इन आरोपों को स्कूल में एक अन्य महिला टीचर के साथ चल रहे उनके आपसी विवाद का परिणाम बताया है। सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) ने भी इस बात की पुष्टि की है कि प्रिंसिपल और एक टीचर के बीच अनबन चल रही है।

ASP ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गांव वालों की मांग

इस घटना के बाद गांव वालों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रिंसिपल और महिला टीचर के बीच चल रहे विवाद के कारण स्कूल की शिक्षा का माहौल लगातार खराब हो रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार और बच्चों के भविष्य को देखते हुए दोनों को ही स्कूल से हटाया जाए।

यह घटना दर्शाती है कि समाज में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों के बावजूद, जातिगत पूर्वाग्रह आज भी कुछ शैक्षिक संस्थानों में जड़ें जमाए हुए हैं। इस मामले में निष्पक्ष जांच और सख्त कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि छात्र बिना किसी डर और भेदभाव के शिक्षा प्राप्त कर सकें।
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