वर्ल्ड कप 2025 की 'साइलेंट वॉरियर' : राधा यादव ने मिडिल ओवरों में पलटा मैच का रुख

Prashant Prakash
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ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों को पछाड़ते हुए भारत ने ICC Women’s Cricket World Cup 2025 का खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत में कई खिलाड़ियों ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन एक नाम जिसने सबका दिल जीत लिया — वह था राधा यादव, जौनपुर की धरती से निकली वो प्रतिभा जिसने संघर्ष को सफलता में बदला। राधा की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि अदम्य इच्छाशक्ति और कभी न हार मानने वाले जज्बे की कहानी है।


टीम की 'साइलेंट वॉरियर' बनीं मैच विनर

राधा यादव भारतीय टीम की लेफ्ट-आर्म स्पिन गेंदबाज़ हैं, जिन्हें कप्तान हरमनप्रीत कौर ने "टीम की साइलेंट वॉरियर" कहा है। विश्वकप 2025 के दौरान राधा ने न केवल मिडल ओवरों में विपक्षी टीमों पर अंकुश लगाया बल्कि महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट निकालकर मैच का रुख पलट दिया।

 * सेमीफाइनल में जलवा : सेमीफाइनल (भारत बनाम इंग्लैंड) में राधा यादव ने 10 ओवर में मात्र 28 रन देकर 3 विकेट लिए। उनकी धारदार गेंदबाज़ी ने इंग्लैंड के मिडल ऑर्डर को बिखेर दिया, जिससे भारत को फाइनल में जगह बनाने का मौका मिला।

 * फाइनल में दबाव : फाइनल में, भले ही उन्हें कोई विकेट नहीं मिला, लेकिन उनकी सटीक लाइन-लेंथ ने रन गति को धीमा कर विपक्षी बल्लेबाज़ों को दबाव में रखा। यह दबाव ही टीम के अन्य गेंदबाज़ों के लिए विकेट निकालने का आधार बना।

फाइनल का रोमांचक मुकाबला

फाइनल मुकाबला DY पाटिल स्टेडियम, नवी मुंबई में खेला गया, जहां भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 299 रन बनाए। जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर सिमट गई और भारत ने 52 रन से ऐतिहासिक जीत दर्ज की। राधा यादव की गेंदबाज़ी का असर भले आंकड़ों में न दिखा हो, पर उनकी हर ओवर में डाले गए दबाव ने टीम की जीत में एक अदृश्य और निर्णायक भूमिका निभाई।

💪 संघर्ष की मिसाल : सब्ज़ी विक्रेता की बेटी का सपना
राधा यादव का जन्म मुंबई के कांदिवली की झुग्गियों में हुआ था, लेकिन उनका परिवार मूल रूप से जौनपुर, उत्तर प्रदेश का है।

 * आर्थिक चुनौती : उनके पिता सब्ज़ी बेचने का काम करते थे और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। ऐसे में क्रिकेट खेलना किसी सपने से कम नहीं था, जिसके लिए अक्सर साधनों की कमी खलती थी।

 * अथक प्रयास : लेकिन राधा ने कभी हार नहीं मानी — सुबह-सुबह अभ्यास, स्कूल के बाद नेट सेशन, और फिर मेहनत के दम पर भारतीय टीम तक का सफर तय किया। उनके कोच प्रदीप सावंत ने राधा की प्रतिभा को पहचानकर उन्हें सही दिशा दी।

 * सफलता की सीढ़ी : धीरे-धीरे राधा ने घरेलू क्रिकेट से अंतरराष्ट्रीय मंच तक अपना लोहा मनवाया और आज वे भारत की विश्वकप विजेता टीम का गर्व हैं।

🗣️ राधा यादव का बयान

> “जब मैं छोटी थी, तब मैंने सोचा भी नहीं था कि कभी भारत के लिए खेल पाऊँगी। आज जब वर्ल्ड कप ट्रॉफी हाथ में है, तो लगता है कि मेहनत, विश्वास और संघर्ष – सबका फल मिल गया।”


जौनपुर से मिली प्रेरणा

राधा यादव की इस सफलता ने जौनपुर जिले को एक ऐतिहासिक गर्व का मौका दिया है। स्थानीय लोगों ने उनकी इस उपलब्धि पर खुशी जताई और कहा कि अब राधा हर उस लड़की के लिए प्रेरणा हैं जो सीमित साधनों में बड़े सपने देखती है। राधा ने साबित कर दिया कि आपका जन्म कहाँ हुआ, यह मायने नहीं रखता, मायने रखता है कि आप कहाँ पहुँचना चाहते हैं।

  राधा यादव ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं। जौनपुर की बेटी ने भारत को वर्ल्ड कप जिताकर न केवल देश का नाम रोशन किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि मेहनत और आत्म-विश्वास की कोई सीमा नहीं होती। आज वे सिर्फ भारतीय टीम की नहीं, बल्कि हर संघर्षरत लड़की की पहचान बन चुकी हैं। उनका यह सफर लाखों लोगों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

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