पटना एयरपोर्ट पर बीजेपी सांसद रवि किशन और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बागी नेता तेज प्रताप यादव की अचानक हुई मुलाकात ने बिहार की राजनीति में एक नया अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है। इस मुलाकात के बाद तेज प्रताप ने जो बयान दिया, उसे उनके बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि वर्तमान राजनीतिक स्थिति कुछ और ही बयां करती है।
बयान जो बना चर्चा का केंद्र
तेज प्रताप यादव ने रवि किशन के साथ अपनी पहली मुलाकात को आस्था से जोड़ा, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक रुख को एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर केंद्रित कर दिया।
> "जो बेरोजगारी खत्म करेगा, मैं उसके साथ हूं।"
यह बयान तेज प्रताप की प्राथमिकता को दर्शाता है। यह किसी दल विशेष (चाहे वह बीजेपी हो या आरजेडी) के प्रति समर्थन या विरोध का सीधा संकेत न होकर, उनकी राजनीति की मुख्य धुरी को बेरोजगारी उन्मूलन बनाने की ओर इशारा करता है।
वैचारिक भिन्नता और मौजूदा स्थिति
हालांकि, बीजेपी से हाथ मिलाने की अटकलों पर गौर करें तो, तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी 'जनशक्ति जनता दल' (JJD) के गठन के बाद स्पष्ट रूप से कहा था कि वह बीजेपी और जेडीयू के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार करते हैं। उन्होंने इसका कारण वैचारिक मतभेद बताया था।
वर्तमान में तेज प्रताप की स्थिति
वह अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के बैनर तले सक्रिय हैं और बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा बनाने की बात कर रहे हैं। वह लगातार अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव और आरजेडी के नेतृत्व पर निशाना साध रहे हैं।
* राजनीतिक मायने : दबाव की रणनीति या नई राह?
तेज प्रताप यादव के बयान को राजनीतिक विश्लेषक कई तरह से देख रहे हैं:
* आरजेडी पर दबाव : यह बयान अपने पूर्व दल (आरजेडी) पर यह दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है कि यदि वे उन्हें वापस नहीं लेते हैं या उनकी शर्तों पर ध्यान नहीं देते हैं, तो उनके पास अन्य विकल्प खुले हैं, जो उनके वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं।
* वैकल्पिक पहचान : यह बिहार में खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास है जो परिवार की राजनीति से ऊपर उठकर जनहित (बेरोजगारी) को प्राथमिकता देता है, भले ही वह किसी भी पार्टी से क्यों न जुड़ना पड़े।
* धर्मनिरपेक्षता का सवाल : तेज प्रताप की राजनीति पारंपरिक रूप से लालू यादव की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से जुड़ी रही है। बीजेपी से वैचारिक मतभेदों के चलते, उनके सीधे तौर पर बीजेपी में शामिल होने की संभावना बहुत कम मानी जाती है, जब तक कि कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर न हो जाए।
फिलहाल, तेज प्रताप यादव ने बीजेपी से गठबंधन करने की कोई सीधी घोषणा नहीं की है। उनका बयान एक शर्त है—'जो बेरोजगारी खत्म करेगा'—जो भविष्य में राजनीतिक समझौते की गुंजाइश छोड़ता है, लेकिन वैचारिक भिन्नताओं को देखते हुए यह कदम उठाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
