रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दिसंबर के पहले सप्ताह (संभावित 5-6 दिसंबर) में भारत दौरा दोनों देशों के बीच 'विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी' को एक नई दिशा देने के लिए तैयार है। यह वार्षिक शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व तरीके से मजबूत करने पर जोर दे रहा है।
🛡️ रक्षा क्षेत्र में बड़े करार : भारत बनेगा 'मेक इन इंडिया' डिफेंस हब
पुतिन की यात्रा का मुख्य केंद्रबिंदु रक्षा सहयोग होगा, जो भारत-रूस संबंधों का आधार रहा है। एजेंडा में तीन प्रमुख रूसी हथियार प्रणालियों से संबंधित समझौते शामिल हैं, जो भारत की सैन्य शक्ति को कई गुना बढ़ा सकते हैं:
S-57 फाइटर जेट
* खबरों के मुताबिक, HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) के साथ मिलकर भारत में ही S-57 फाइटर जेट के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा हो सकती है।
* S-57 रूस का पाँचवी पीढ़ी का स्टेल्थ (Stealth) लड़ाकू विमान है। इसका भारत में निर्माण 'मेक इन इंडिया' के रक्षा विजन के लिए एक मास्टर स्ट्रोक साबित होगा, जिससे भारत को इसकी तकनीक तक पहुँच मिलेगी और वह एक वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में उभर सकता है।
S-400 और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम
भारत पहले ही रूस से S-400 'ट्रायम्फ' एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद कर चुका है, जिसकी डिलीवरी जारी है। दौरे पर अतिरिक्त यूनिट्स की खरीद पर बातचीत संभव है।
इससे भी महत्वपूर्ण, भारत S-500 'प्रोमेथियस' एयर डिफेंस सिस्टम पर भी रुचि दिखा सकता है। S-500 को S-400 का उन्नत संस्करण माना जाता है, जिसमें हाइपरसोनिक मिसाइलों और अंतरिक्ष में सैटेलाइट को भी मार गिराने की क्षमता है। यह दुनिया के सबसे एडवांस डिफेंस सिस्टम्स में से एक है। S-500 के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव भी चर्चा में हो सकता है।
ये समझौते न केवल भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर भी एक बड़ा कदम होंगे।
उर्वरक और ऊर्जा सहयोग, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा
रक्षा के अलावा, यह दौरा आर्थिक सहयोग को भी मजबूत करेगा -
* फर्टिलाइजर सेक्टर : उर्वरक सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान होने की उम्मीद है। रूस भारत के लिए उर्वरकों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, और इस क्षेत्र में सहयोग से भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
* ऊर्जा और व्यापार : दोनों नेता ऊर्जा (विशेष रूप से तेल आयात) और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर विचार-विमर्श करेंगे। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद, भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है, जो दोनों देशों के मजबूत आर्थिक संबंधों को दर्शाता है।
🌍 वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सहित क्रेमलिन के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका के दबाव से भारत-रूस संबंध अप्रभावित हैं, क्योंकि भारत अपने साझेदार खुद चुनता है। पुतिन का यह दौरा यूक्रेन संघर्ष के बाद उनकी पहली भारत यात्रा होगी और यह बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और रूस के साथ उसकी 'विशेष साझेदारी' को विश्व पटल पर मजबूती से प्रदर्शित करेगा।
यह शिखर सम्मेलन रक्षा, व्यापार और ऊर्जा में सहयोग को और गहरा करने, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दोहराने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।
