बिहार विधानसभा चुनाव का रंग अब छपरा की राजनीतिक धरती पर अपने चरम पर है, जहाँ भोजपुरी के दो बड़े सितारे पवन सिंह (NDA/BJP स्टार प्रचारक) और खेसारी लाल यादव (RJD प्रत्याशी) आमने-सामने हैं। इस चुनावी महासंग्राम में तब तीखा मोड़ आ गया, जब पवन सिंह की एक चुनावी सभा के दौरान भीड़ में 'आरजेडी जिंदाबाद' के नारे लगने लगे। वीडियो
⚔️ भोजपुरी बनाम भोजपुरी : स्टारडम की चुनावी लड़ाई
पवन सिंह, जो कि बीजेपी/एनडीए के लिए प्रचार कर रहे हैं, जब छपरा विधानसभा सीट के शाहपुर और आसपास के क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में रैली कर रहे थे, तो कुछ विरोधियों या आरजेडी समर्थकों ने बीच-बीच में 'तेजस्वी यादव जिंदाबाद' और 'आरजेडी जिंदाबाद' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
यह घटना दर्शाती है कि छपरा की लड़ाई अब सिर्फ पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि भोजपुरी इंडस्ट्री के स्टारडम और समर्थक बेस के बीच भी है।
* NDA का चेहरा : पवन सिंह, जिन्हें 'पावर स्टार' के नाम से जाना जाता है, अपनी रैलियों में एनडीए सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं और आरजेडी के 'जंगलराज' पर निशाना साध रहे हैं।
* RJD का चेहरा : खेसारी लाल यादव, जिन्हें आरजेडी ने छपरा से टिकट दिया है, उसी भोजपुरी फैन फॉलोइंग को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। खेसारी के समर्थक पवन सिंह की सभाओं में घुसकर नारेबाजी कर माहौल को गरमाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ध्यान एनडीए की रैली से हटकर आरजेडी की ओर जाए।
🚨 राजनीतिक विश्लेषक क्या कहते हैं?
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, इस तरह की नारेबाजी के पीछे कई कारण हो सकते हैं -
* जवाबी हमला : यह आरजेडी समर्थकों की एक सुनियोजित रणनीति हो सकती है ताकि वे यह दिखा सकें कि पवन सिंह की लोकप्रियता उनके गढ़ में भी चुनौती का सामना कर रही है।
* जातिगत समीकरण : छपरा लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक प्रयोगशाला रही है। माना जाता है कि यहाँ यादव और मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा प्रभाव है, जो पारंपरिक रूप से आरजेडी के साथ जुड़े रहे हैं। ये नारे इन समीकरणों के मुखर होने का संकेत हो सकते हैं।
* व्यक्तित्व की टक्कर : भोजपुरी सिनेमा में दोनों स्टार्स के बीच पहले से ही चली आ रही व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता अब चुनावी मंच पर खुलकर सामने आ गई है, जिससे समर्थकों के बीच जुनून और टकराव बढ़ गया है।
🔥 छपरा का चुनावी माहौल
नारेबाजी की यह घटना साफ करती है कि छपरा सीट पर मुकाबला कड़ा हो गया है। यह सीट दशकों से बीजेपी के कब्जे में रही है, लेकिन खेसारी लाल के आने से यह मुकाबला हाई-प्रोफाइल हो गया है। 'आरजेडी जिंदाबाद' के नारे न केवल राजनीतिक विरोध को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि आरजेडी इस सीट को वापस जीतने के लिए आक्रामक प्रचार कर रही है।
चुनाव के अंतिम चरण में इस तरह की नारेबाजी और व्यक्तिगत हमले मतदाताओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पवन सिंह और एनडीए समर्थक इस 'शोर' का जवाब अपनी रैलियों में कैसे देते हैं।
