पटना | बिहार के दैनिक एवं ठेका कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। दैनिक कर्मियों के स्थायीकरण, न्यूनतम वेतन ₹26,000 करने, 26 दिनों का वेतन देने, आउटसोर्सिंग खत्म कर कर्मियों को निकाय कर्मचारी के रूप में समायोजित करने जैसी प्रमुख मांगों को लेकर बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने 28 फरवरी को बिहार विधान सभा का घेराव करने का निर्णय लिया है। इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए प्रदेशभर में जोरदार तैयारियां की जा रही हैं।
नगर निगम कर्मियों की मुहिम तेज़
इस आंदोलन को धारदार और प्रभावी बनाने के लिए पटना नगर निगम कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने ज़ोर-शोर से प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने पटना नगर निगम मुख्यालय मौर्यलोक कॉम्प्लेक्स में कर्मचारियों से मुलाकात कर आंदोलन को मजबूती देने की अपील की। वहीं, मोर्चा के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार और संयोजक मंगल पासवान ने नूतन राजधानी अंचल में जनसंपर्क अभियान चलाया।
कर्मचारियों का सरकार को कड़ा संदेश
नगर निगम के कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार वे पूरी ताकत के साथ घेराव में शामिल होंगे और सरकार को अपने सामूहिक शक्ति का अहसास कराएंगे। उन्होंने दो टूक कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
जनसंपर्क अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी
इस जनसंपर्क अभियान में प्रभात कुमार, नितीश कुमार, पवन, अजीत कुमार, शंकर बाल्मीकि सहित कई अन्य कर्मचारी शामिल हुए। उन्होंने नगर निगम कर्मियों से इस बड़े आंदोलन में पूरी मुस्तैदी के साथ भाग लेने का आह्वान किया।
सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति
मोर्चा के नेताओं का कहना है कि सरकार लंबे समय से नगर निगम कर्मियों की मांगों को नज़रअंदाज कर रही है, लेकिन अब और इंतज़ार नहीं किया जाएगा। 28 फरवरी को होने वाले विधान सभा घेराव से यह साफ हो जाएगा कि अगर सरकार जल्द ठोस निर्णय नहीं लेती, तो आंदोलन और उग्र होगा।
क्या हैं प्रमुख मांगें?
1. दैनिक कर्मियों का स्थायीकरण
2. न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह लागू करना
3. 26 दिनों का वेतन भुगतान सुनिश्चित करना
4. आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त कर कर्मियों का समायोजन करना
बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संघर्ष मोर्चा का यह आंदोलन राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में यह संघर्ष और व्यापक हो सकता है। अब सभी की नजरें 28 फरवरी के ऐतिहासिक घेराव पर टिकी हैं।
