आचार संहिता में 'बंदूक राज' और कानून-व्यवस्था पर गरमाती सियासत, मोकामा हत्याकांड पर तेजस्वी का तीखा प्रहार

Prashant Prakash
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बिहार के मोकामा में जन सुराज समर्थक और राजद नेता दुलारचंद यादव की निर्मम हत्या ने राज्य की राजनीति में उबाल ला दिया है। यह वारदात ऐसे समय में हुई है जब पूरे राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है। इस घटना ने एक बार फिर बिहार की कानून-व्यवस्था को केंद्र में ला दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को लेकर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला बोला है, और पूछा है कि "आचार संहिता के बीच बंदूक लेकर घूमना कौन-सा 'राज' कहलाएगा?"

मोकामा की वारदात : 'बंदूक' और 'बाहुबल' का टकराव
मोकामा की घटना चुनावी रंजिश का परिणाम मानी जा रही है। दुलारचंद यादव, जो कि बाढ़ क्षेत्र के कुख्यात अपराधी भी रहे थे और उन पर कई गंभीर मामले दर्ज थे, इस बार जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार कर रहे थे। उनकी हत्या का आरोप सीधे तौर पर एनडीए के घटक दल जदयू (JDU) के उम्मीदवार बाहुबली अनंत सिंह के समर्थकों पर लगा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, चुनावी प्रचार के दौरान दो गुटों के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद गोलीबारी हुई और दुलारचंद यादव को गोली मारने के बाद कथित तौर पर गाड़ी से कुचल दिया गया।

तेजस्वी यादव का 'राज' पर सवाल

इस हत्याकांड के साथ-साथ सीवान में एक एएसआई की गला रेतकर हत्या जैसी घटनाओं का उल्लेख करते हुए तेजस्वी यादव ने सरकार पर करारा प्रहार किया है। उनका पूरा बयान कानून-व्यवस्था की चरमराती स्थिति को दर्शाता है।

 * "आचार संहिता में बंदूक लेकर घूमना कौन-सा 'राज' कहलाएगा?" : यह प्रश्न मौजूदा सरकार के शासन (राज) की प्रकृति पर सीधे सवाल उठाता है। तेजस्वी का इशारा स्पष्ट रूप से उस दौर की ओर है जिसे 'जंगल राज' कहा जाता था—एक ऐसा शासन जहाँ अपराधी बेलगाम होते हैं और कानून का भय समाप्त हो जाता है। उनके अनुसार, अगर आचार संहिता के दौरान भी अपराधी खुलेआम घूमकर हत्याएं कर रहे हैं, तो यह 'बंदूक राज' या अपराधियों का शासन है, न कि कानून का शासन।

 * पीएम मोदी और नीतीश सरकार पर निशाना : उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर 30 साल पुरानी बातों को दोहराने और वर्तमान में हो रहे अपराधों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो लोग 'जंगल राज' का नारा लगाते थे, वे खुद के 'राज' में अपराधों पर मौन हैं।

 * अपराधियों को संरक्षण का आरोप : तेजस्वी ने सीधे तौर पर सवाल उठाया है कि "इन अपराधियों को संरक्षण कौन दे रहा है?" यह आरोप इशारा करता है कि सत्ता में बैठे लोग या उनके करीबी लोग इन अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दे रहे हैं, जिसके कारण वे बेखौफ होकर घूम रहे हैं।

डबल इंजन सरकार बनाम अपराध की गंगोत्री

तेजस्वी यादव ने अपनी पूर्व की टिप्पणियों को दोहराते हुए 'डबल इंजन' (केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार) पर तंज कसा है और कहा है कि बिहार भ्रष्टाचार और अपराध की गंगोत्री बन चुका है। मोकामा की यह घटना दिखाती है कि चुनाव के माहौल में भी बाहुबल और बंदूक का जोर कायम है, जो एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए गंभीर खतरा है।
 
   मोकामा हत्याकांड केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह बिहार की चुनावी और प्रशासनिक संस्कृति का एक कड़वा सच उजागर करती है। तेजस्वी यादव का सवाल, "यह कौन-सा 'राज' है?", कानून-व्यवस्था को लेकर सत्ताधारी गठबंधन को कटघरे में खड़ा करता है। यह घटना दर्शाती है कि राज्य में राजनीतिक टकराव अभी भी हिंसा और बाहुबल के साए से बाहर नहीं निकल पाया है। बिहार को विकास के पथ पर लाने का दावा करने वाली सरकार के लिए, आचार संहिता के बीच हुई यह हत्या और एक पुलिसकर्मी का मारा जाना, कानून के राज की स्थापना के दावों पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है।

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