Govardhan Puja 2025 : जानें कब है अन्नकूट पर्व, पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और धार्मिक महत्व

Prashant Prakash
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दीवाली की खुशियों के तुरंत बाद आता है एक और पवित्र और आनंदमय पर्व — गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण के उस दिव्य कार्य की याद दिलाता है जब उन्होंने इंद्रदेव के क्रोध से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।

🌿 गोवर्धन पूजा 2025 कब है?

इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

🕕 गोवर्धन पूजा 2025 के शुभ मुहूर्त

प्रातःकालीन पूजा मुहूर्त: सुबह 06:30 से 08:47 बजे तक

सायाह्नकालीन पूजा मुहूर्त: दोपहर 03:36 से 05:52 बजे तक


इन शुभ समयों में पूजा-अर्चना करने से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कृपा बनी रहती है।


🌾 गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का संदेश बड़ा ही गूढ़ और प्रेरणादायक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति और अन्न की पूजा ही सच्ची आराधना है।
इस दिन लोग गाय-बैल की पूजा करते हैं, घर-आंगन में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर पूजा की जाती है और 56 भोग या अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है —

> “अन्नं ब्रह्मेति व्यजानात्।”
अर्थात् अन्न स्वयं ब्रह्म का स्वरूप है। इसलिए इस दिन अन्न और प्रकृति दोनों की आराधना की जाती है।


🙏 पूजा विधि

1. सबसे पहले घर या आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं।

2. उसे फूल-माला, दीपक और अक्षत से सजाएं।

3. भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, और गायों की पूजा करें।

4. 56 प्रकार के व्यंजन (अन्नकूट) बनाकर भगवान को अर्पित करें।

5. पूजा के बाद परिवार व पड़ोसियों के साथ प्रसाद का वितरण करें।


💫 धार्मिक मान्यता

कथाओं के अनुसार, इंद्रदेव ने जब गोकुलवासियों पर वर्षा का प्रकोप बरपाया, तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर पूरे गोकुल की रक्षा की। इसके बाद से इस पर्व को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाने लगा।


🌸 निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
इस वर्ष 22 अक्टूबर को जब आप गोवर्धन पूजा करें, तो अपने मन में यह भाव रखें —

> “प्रकृति हमारी माता है, उसकी रक्षा ही सच्ची भक्ति है।”

विशेष सुझाव 

यदि आपके क्षेत्र में दीवाली और अमावस्या की तिथि में अंतर है, तो अपने स्थानीय पंचांग या पंडित से मुहूर्त की पुष्टि अवश्य कर लें।

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