बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। पार्टी के पुराने और समर्पित नेता मदन शाह का दर्द इस कदर उभर आया कि वे कैमरे के सामने ही फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने खुलेआम कहा कि तेजस्वी यादव अब बेहद घमंडी हो गए हैं, लोगों से मिलते तक नहीं, और पार्टी में अब सब कुछ कुछ खास लोगों के इशारे पर चल रहा है।
🔹 लालू मेरे गुरु हैं, उन्होंने कहा था टिकट मिलेगा...
मदन शाह ने मीडिया से बात करते हुए कहा
"लालू यादव मेरे गुरु हैं। उन्होंने कहा था कि मुझे टिकट देंगे। तेजस्वी और लालू दोनों ने बुलाया था, कहा था कि टिकट मिलेगा। मैं 90 के दशक से पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा हूं, लेकिन अब मुझे दरकिनार कर दिया गया।"
वे आगे कहते हैं —
"तेजस्वी बहुत घमंडी हो गए हैं। लोगों से मिलते नहीं। पार्टी में अब संजय यादव जैसे लोग टिकट बांट रहे हैं। जिन कार्यकर्ताओं ने RJD को सींचा, उन्हें किनारे कर दिया गया है।"
🔹 मैं मरने आया हूं... अब RJD सरकार नहीं बनाएगी
आंसुओं में डूबे मदन शाह ने भावनाओं में बहकर कहा,
"मैं यहां मरने आया हूं। अब RJD सरकार नहीं बनाएगी। ऐसे नेताओं के साथ जनता नहीं खड़ी होगी जो अपने पुराने साथियों को भूल गए हैं।"
उनकी ये बातें सुनकर वहां मौजूद कई स्थानीय कार्यकर्ता भी भावुक हो उठे। शाह ने कहा कि उन्होंने 90 के दशक से पार्टी को गांव-गांव तक पहुंचाया, लेकिन आज टिकट की होड़ में पुराने सिपाहियों को भुला दिया गया है।
🔹 सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
मदन शाह का यह बयान और वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में वे भावुक होकर कहते दिखाई दे रहे हैं —
"मैं पार्टी के लिए सबकुछ करने को तैयार था, लेकिन अब लगता है कि मेहनत की कोई कीमत नहीं रही।"
लोग इस वीडियो पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोगों ने उनकी पीड़ा को सही बताया, तो कुछ ने इसे टिकट न मिलने की नाराजगी करार दिया।
🔹 अंदरूनी असंतोष से बढ़ी तेजस्वी की मुश्किलें
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में राजद के अंदर लगातार बढ़ता असंतोष तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बन सकता है। कई पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं में टिकट वितरण को लेकर गहरी नाराजगी देखी जा रही है। ऐसे में विपक्ष की एकजुटता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
बिहार की सियासत में RJD के भीतर उबलता असंतोष चुनावी समीकरणों को बदल सकता है। मदन शाह जैसे पुराने नेताओं का खुलकर बोलना इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर “वफादारी” अब टिकट की गारंटी नहीं रही।
