कटिहार (बिहार) | बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कटिहार जिले में आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस पर करारा प्रहार किया। उन्होंने आरजेडी के चुनावी पोस्टरों से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तस्वीर गायब होने पर तंज कसा और कहा कि जो कभी “बिहार में जंगलराज लाए थे”, अब उन्हीं की तस्वीरें अपनी पार्टी के पोस्टरों से “गायब” कर दी गई हैं।
पीएम मोदी ने कहा —
> “आरजेडी-कांग्रेस के पोस्टर्स को देखिए, वो (लालू यादव) वर्षों तक यहां के मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने बिहार में जंगलराज लाया। लेकिन उनकी तस्वीरें या तो पोस्टरों में गायब हैं या इतनी छोटी लगी हैं कि दूरबीन से भी नहीं दिखतीं। अपने पिता का नाम लेने में शर्म क्यों आ रही है? कौन सा पाप है जिसे आरजेडी वालों को बिहार के नौजवानों से छिपाना पड़ रहा है?”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि बिहार के युवा आज विकास चाहते हैं, अपराध और भ्रष्टाचार नहीं। उन्होंने दावा किया कि एनडीए सरकार ने बिहार में विकास, सड़कों, शिक्षा और रोजगार के लिए ऐतिहासिक काम किए हैं, जबकि विपक्ष केवल वोट बैंक की राजनीति में उलझा है।
🔥 तेजस्वी यादव का तीखा जवाब
प्रधानमंत्री के इस बयान पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने का काम कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने कहा —
> “प्रधानमंत्री जी को अब पोस्टर की चिंता हो रही है, जबकि बिहार के नौजवान रोजगार, शिक्षा और महंगाई से परेशान हैं। भाजपा के पास न तो विजन है और न ही युवाओं के भविष्य की कोई योजना। हमारी पार्टी का फोकस रोजगार देने, युवाओं को सम्मान और बिहार को आगे बढ़ाने पर है।”
उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार को बिहार के बेरोजगार युवाओं को जवाब देना चाहिए कि “वादा किए गए 2 करोड़ नौकरियों का क्या हुआ?”
🗳️ बिहार में गरम हुआ चुनावी माहौल
प्रधानमंत्री मोदी की यह रैली बिहार के सीमांचल इलाके में मानी जा रही है, जहां कई चरणों में मतदान होना है। एनडीए इसे “विकास बनाम जंगलराज” का चुनाव बता रहा है, जबकि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-लेफ्ट) इसे “बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ जनसंघर्ष” का रूप दे रहा है।
जनसभा में पीएम मोदी के बयान के बाद से सोशल मीडिया पर “#PosterPolitics” ट्रेंड करने लगा है। समर्थक और विपक्षी दोनों ही पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ डिजिटल युद्ध में उतर चुके हैं।
📍 निष्कर्ष
कटिहार की इस सभा ने बिहार के राजनीतिक पारे को और चढ़ा दिया है। जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी ने लालू यादव की गैरमौजूदगी को “राजनीतिक शर्म” बताया, वहीं तेजस्वी यादव ने इसे “मुद्दों से भटकाने की रणनीति” कहा।
अब देखना यह होगा कि जनता किसकी बात पर भरोसा जताती है — “विकास के वादे” पर या “युवा रोजगार के सवाल” पर।
